नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे, और चुनावी नतीजे 8 फरवरी को घोषित होंगे। इस बार, दिल्ली की सबसे हॉट सीटों में से एक कालकाजी विधानसभा क्षेत्र है, जहां दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी (Atishi) चुनावी मैदान में हैं।
मुकाबला: आतिशी, रमेश बिधूड़ी और अलका लांबा
आतिशी का मुकाबला इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस की अलका लांबा से है। भाजपा इस सीट पर पिछले 30 वर्षों से जीत की तलाश में है, जबकि आम आदमी पार्टी ने 2015 और 2020 के चुनावों में यहां सफलता हासिल की थी। अब देखना यह होगा कि क्या रमेश बिधूड़ी बीजेपी के लिए यहां चमत्कार कर पाते हैं या नहीं।
क्या बिधूड़ी बना पाएंगे भाजपा के लिए इतिहास?
कालकाजी सीट पर भाजपा बीते तीन दशकों से जीत दर्ज नहीं कर पाई है। इस बार भाजपा ने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी पर भरोसा जताया है। बिधूड़ी, जो दक्षिणी दिल्ली से लोकसभा सांसद रह चुके हैं, ने टिकट मिलने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा था, “मुझे मां कालका ने यहां पर बुलाया है, 10 साल में आम आदमी पार्टी की सरकार ने कालकाजी विधानसभा को नर्क बना दिया। जनता इस बार भाजपा को जीत दिलाएगी और इस सीट पर कमल खिलेगा।” हालांकि, बिधूड़ी अपने एक विवादित बयान को लेकर चर्चा में रहे। उन्होंने प्रियंका गांधी के बारे में एक टिप्पणी की थी, जिसपर विवाद हुआ और उन्होंने इसके लिए खेद भी जताया।
आम आदमी पार्टी का तीसरी बार जीत का दावा
आम आदमी पार्टी ने 2015 और 2020 में यहां जीत हासिल की थी और अब तीसरी बार इस सीट पर कब्जा करने का दावा कर रही है। मुख्यमंत्री आतिशी 2020 में यहां से चुनाव जीत चुकी हैं और इस बार भी उनका मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस से है।
कांग्रेस का भी दावा: अलका लांबा की उम्मीदवारी
कांग्रेस, जो बीते तीन चुनावों में हार चुकी है, इस बार यहां से अलका लांबा को उम्मीदवार बना कर जीत का दावा कर रही है। कांग्रेस का इतिहास कालकाजी सीट पर मजबूत रहा है, जहां उसने 1998, 2003 और 2008 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी। इसके बावजूद, इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है, क्योंकि तीनों प्रमुख दलों के उम्मीदवार मजबूत हैं।
इतिहास की चर्चा: भाजपा ने 1993 में जीती थी कालकाजी सीट
अगर हम इतिहास की बात करें, तो भाजपा ने 1993 के विधानसभा चुनाव में कालकाजी सीट पर जीत हासिल की थी, जब भाजपा की उम्मीदवार पूर्णिमा सेठी ने कांग्रेस को हराया था। लेकिन इसके बाद भाजपा यहां कभी जीत हासिल नहीं कर पाई। 2015 में आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की थी, और 2020 में उन्होंने अपनी जीत को दोहराया।
महत्वपूर्ण मुद्दे: सड़कें, जलभराव और ट्रैफिक
कालकाजी विधानसभा में नागरिकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। टूटी हुई सड़कें, गंदा पानी, सीवर की समस्या और बरसात के दिनों में जलभराव यहां के प्रमुख मुद्दे हैं। इसके अलावा, आवारा पशुओं और ट्रैफिक जाम के कारण भी लोग परेशान हैं। फुटपाथों पर अतिक्रमण ने पैदल चलने वाले लोगों के लिए परेशानी पैदा कर दी है। इन समस्याओं को लेकर उम्मीदवारों द्वारा समाधान की उम्मीद जताई जा रही है।
वोटरों का सामाजिक और सांप्रदायिक वर्गीकरण
कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में सिख, ओबीसी, वैश्य, गुर्जर, एससी और मुस्लिम समुदाय के वोटरों का अच्छा खासा प्रभाव है। करीब 27% सिख, 9% ब्राह्मण और 7% मुस्लिम मतदाता हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, सुखदेव विहार, महारानी बाग, और गोविंदपुरी जैसे पॉश इलाके आते हैं। कुल मतदाता संख्या लगभग 1.70 लाख है, जिसमें पुरुष वोटर्स करीब 95 हजार और महिला वोटर्स करीब 80 हजार हैं।
कुल मिलाकर एक त्रिकोणीय मुकाबला
अब तक के चुनावी परिप्रेक्ष्य को देखें तो कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है। आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस तीनों ही पार्टियों के उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से जीत का दावा कर रहे हैं। 5 फरवरी को होने वाले चुनाव परिणामों से यह साफ होगा कि इस सीट पर कौन सा दल अपनी जीत की दावेदारी साबित कर पाता है।