लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने हाल ही में हफ्ते में 90 घंटे काम करने की वकालत की है, जिससे व्यापक विरोध हुआ है। अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और उद्योगपति हर्ष गोयनका जैसी प्रमुख हस्तियों ने इस बयान की आलोचना की है। हालांकि, इस टिप्पणी से एक और महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो है – काम के लंबे घंटों का कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव।
काम से जुड़ी बीमारियां और मौतें
संयुक्त राष्ट्र की 2021 की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि लंबा काम करने से कर्मचारियों के शरीर पर गंभीर असर पड़ सकता है, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, काम से जुड़ी चोटों और बीमारियों के कारण हर साल लगभग 20 लाख लोगों की मृत्यु होती है। यह आंकड़ा 2000 से 2016 तक के वैश्विक नौकरी के दौरान होने वाली बीमारियों और चोटों के बोझ पर आधारित है।
मृत्यु के कारण: फेफड़ों की बीमारियां और हृदय रोग
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि काम से जुड़ी बीमारियों में सबसे बड़ी वजह क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) है, जो सांस लेने में कठिनाई पैदा करता है। इस बीमारी के कारण 2016 में 415,000 लोगों की जान गई। इसके बाद स्ट्रोक और इस्केमिक हृदय रोग का स्थान रहा। इसके अलावा, लंबे समय तक एक ही जगह बैठे रहना भी मृत्यु के कारणों में शामिल है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, काम और जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए जाते हैं, जैसे कि काम के बीच छोटे ब्रेक लेना, तनाव को कम करना, कार्यस्थल पर सीमाएं निर्धारित करना, नियमित रूप से व्यायाम करना, और संतुलित आहार लेना।
(डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है और इसे केवल सुझाव के रूप में लिया जाना चाहिए। इस प्रकार की किसी भी जानकारी को अपनाने से पहले कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें।)