मुंबई: मुंबई में हर साल हजारों लोग अपनी किस्मत आज़माने आते हैं, लेकिन पीयूष मिश्रा की मुंबई यात्रा कुछ अलग रही है। एक वक्त था जब उन्होंने ठान लिया था कि वह कभी मुंबई नहीं जाएंगे और थियेटर को ही अपनी ज़िंदगी का उद्देश्य बनाएंगे। हालांकि, उनकी ये सोच पूरी तरह से बदल गई और आज वह बॉलीवुड के एक चर्चित अभिनेता बन चुके हैं। उनका मुंबई के साथ रिश्ता भी उतना ही उबड़-खाबड़ और सनसनीखेज रहा है।
गैंग ऑफ वासेपुर से मिली पहचान
2012 में आई फिल्म “गैंग ऑफ वासेपुर” ने पीयूष मिश्रा को एक अलग पहचान दी। “इक बगल में चांद होगा, इक बगल में रोटियां” गाने की वजह से उनकी आवाज़ और अभिनय दोनों ही दर्शकों के दिलों में बस गए। आज, जब वह अपना 62वां जन्मदिन मना रहे हैं, तब उनकी फैंस के दिलों में खास जगह है। दिल्ली की गलियों से निकलकर मुंबई पहुंचे पीयूष ने हर किरदार में अपनी अदाकारी से सबको प्रभावित किया है।
पीयूष मिश्रा की कठिन शुरुआत
पीयूष मिश्रा की ज़िंदगी भी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं रही। जब वह छोटे थे, उनके माता-पिता आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे। इस दौरान उनकी बुआ ने उन्हें गोद लिया और वे उनके साथ रहने लगे। उनका जन्म 13 जनवरी को ग्वालियर में हुआ था और उनके पिता सरकारी नौकरी में थे। शुरुआत में ही पीयूष का मन अपने शहर से बाहर जाने का था और उनका सपना था कि वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में दाखिला लें।
क्रेडिट न मिलने पर भड़के पीयूष मिश्रा
पीयूष मिश्रा की ऑटोबायोग्राफी ‘तुम्हारी औकात क्या है, पीयूष मिश्रा’ उनकी जर्नी की कहानी बयान करती है। किताब में एक वाकया है जब एक डायरेक्टर ने उन्हें पैसे तो दिए, लेकिन उनका काम का क्रेडिट नहीं दिया। इससे गुस्साए पीयूष ने डायरेक्टर के ऑफिस में घुसकर पेट्रोल डाल दिया और उसकी टेबल पर आग लगा दी। इसके बाद उन्हें साढ़े चार लाख रुपए और फिल्म का क्रेडिट भी मिल गया।
मुंबई में संघर्ष और नशे का दौर
मुंबई में संघर्ष के दिनों में पीयूष मिश्रा ने शराब की लत भी लगाई थी। एक बार जब वे शराब पीकर घर से बाहर निकले, तो मकान मालिक के साथ उनका झगड़ा हुआ। इसके बाद उन्हें फुटपाथ पर सोने का सामना करना पड़ा। इस दौरान उनका सामना एक ऐसे शख्स से हुआ, जिसे स्मैक की लत थी और एक दिन वह ओवरडोज़ के कारण मर गया। पीयूष मिश्रा ने बताया कि उन्होंने अनजाने में उस लाश के पास पूरी रात बिताई। यह घटना उन्हें इतनी कचोटने वाली लगी कि उन्होंने तय कर लिया कि वह मुंबई छोड़ देंगे और दिल्ली वापस लौट आएंगे।
आज, पीयूष मिश्रा की संघर्ष और सफलता की कहानी एक प्रेरणा बन चुकी है। उनका मुंबई में किया गया काम और उनकी अदाकारी ने उन्हें बॉलीवुड में एक मजबूत पहचान दिलाई है।