यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 की तैयारियों में किया बड़ा बदलाव, शाही स्नान और पेशवाई के नाम बदले

UP CM Yogi Adityanath made a big change in the preparations for Mahakumbh 2025, changed the names of Shahi Snan and Peshwai

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ 2025 की तैयारियों में जुटे हुए हैं। इस बीच, उन्होंने कुंभ से जुड़ी दो प्रमुख परंपराओं के नामों में बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब “शाही स्नान” और “पेशवाई” को “अमृत स्नान” और “नगर प्रवेश” कहा जाएगा। यह बदलाव महाकुंभ की शब्दावली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, जो हिंदू धर्म की सनातन परंपराओं से प्रेरित है। पहले के नाम फारसी शब्द थे, जबकि नए नाम भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्राथमिकता देते हैं।

सदियों पुरानी परंपरा का नया नाम
महाकुंभ में शाही स्नान की परंपरा सदियों पुरानी है, हालांकि इसका उल्लेख किसी शास्त्र या धार्मिक ग्रंथ में नहीं मिलता। यह परंपरा 14वीं से 16वीं सदी के बीच शुरू हुई थी। शाही स्नान के दौरान सबसे पहले साधु-संत स्नान करते हैं, इसके बाद आम भक्तों और श्रद्धालुओं का स्नान होता है। इस स्नान को अब “अमृत स्नान” कहा जाएगा, जो हिंदू धर्म की शाश्वत परंपराओं के अनुरूप है।

पेशवाई का नया नाम
“पेशवाई” शब्द मूल रूप से फारसी भाषा से लिया गया था, जिसका अर्थ होता है किसी सम्मानित व्यक्ति का स्वागत करना। महाकुंभ में इसे साधु-संतों के जुलूस के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, जहां साधु- संत रथ, हाथी और घोड़ों पर बैठकर कुंभ नगरी में प्रवेश करते थे। अब इस धार्मिक यात्रा को “नगर प्रवेश” कहा जाएगा।

संतों की मांग पर बदलाव
शाही स्नान और पेशवाई के नामों में बदलाव की मांग संतों द्वारा लंबे समय से की जा रही थी। संतों ने सुझाव दिया था कि शाही स्नान के नाम को बदलकर “राजसी स्नान” या “अमृत स्नान” रखा जाए, और पेशवाई के लिए “छावनी प्रवेश”, “प्रवेशाई” या “नगर प्रवेश” जैसे शब्द सुझाए थे। इन बदलावों को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से उपयुक्त मानते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें स्वीकार किया है।

महाकुंभ 2025 की तैयारियाँ
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए प्रशासन की ओर से सभी प्रकार की उच्च-कोटि की व्यवस्थाएं की जा रही हैं, ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो। महाकुंभ 2025 में इन बदलावों से कुंभ के आयोजन में और भी भव्यता और धार्मिक महत्व जुड़ने की उम्मीद है।

यह कदम एक ओर जहां कुंभ की परंपराओं को शुद्ध और भारतीय संस्कृति से जोड़ेगा, वहीं इसे दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए एक नई दिशा में ले जाएगा।

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