भारतीय दर्शन ही है एकमात्र विकल्प : डॉ. पूनम

आरा(चौथी वाणी)। दर्शन परिषद् बिहार का 43वां अधिवेशन दर्शनशास्त्र विभाग, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा में आयोजित हो रहा है। इसके दूसरे दिन की शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।अधिवेशन के दौरान दस नियमित व्याख्यान एवं एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। सभी व्याख्यानों की अध्यक्षता भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. आर. सी. सिन्हा ने की‌। समन्वयक की भूमिका डॉ. अभय कुमार सिंह (मुजफ्फरपुर) ने निभाई।विशिष्ट व्यख्यान प्रो. डी. एन. तिवारी (वाराणसी) ने दार्शनिक चिंतन और दैनिक जीवन में इसकी उपयोगिता विषयक व्याख्यान दिया।दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्षा डॉ. पूनम सिंह ने सिया देवी, माधवपुर (खगड़िया) व्याख्यान दिया।डॉ. सिंह ने कहा कि आधुनिक भौतिकवादी विकास की अंधदौड़ में मानवीय मूल्यों, नैतिक संस्कारों एवं सामाजिक सरोकारों का ह्रास होता जा रहा है। इससे मानव जीवन त्रस्त है और संपूर्ण सृष्टि के सर्वनाश का खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे में भारतीय सभ्यता-संस्कृति की ओर लौटना और भारतीय दर्शन को जीवन में आत्मसात करना ही ही है एकमात्र विकल्प।डॉ. सिंह ने कहा कि आधुनिक सभ्यता विरोधाभासों को बढ़ा रही है। आज हमारी विकास की गति बढ़ी है, लेकिन दिशा भटक गई। हमारे पास धन बढ़ता जा रहा है, लेकिन मूल्यों का क्षरण हो रहा है। हम सुंदरता के पीछे पागल हैं, लेकिन चरित्र में गिरावट आ रही है। हम बड़े-बड़े मशीनों का आविष्कार कर रहे हैं, लेकिन मुकम्मल मनुष्य का निर्माण बंद हो गया ‌है।

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