मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अतुल सुभाष की मां की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने पोते की कस्टडी मांगी थी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि चूंकि बच्चे के माता-पिता में से एक जीवित हैं और अतुल की मां बच्चे के लिए अजनबी हैं, इसलिए वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। न्यायालय ने उन्हें बताया कि कस्टडी प्राप्त करने के लिए अलग प्रक्रिया है।
अदालत ने दी सलाह
एक न्यायाधीश ने अतुल सुभाष की मां से कहा, “अगर आप बच्चे की कस्टडी चाहती हैं तो इसके लिए एक अलग प्रक्रिया है। हम यह नहीं कहना चाहते, लेकिन आप बच्चे के लिए लगभग अजनबी हैं।” इसके साथ ही न्यायालय ने उन्हें सलाह दी कि यदि वे चाहें तो बच्चे से मिल सकते हैं। अदालत ने उनसे यह भी आग्रह किया कि जब तक अदालत में उसकी बहू का अपराध साबित नहीं हो जाता, तब तक वह अपनी बहू को दोषी न ठहराएं।
बच्चे की कस्टडी में निकिता सिंघानिया का दावा
इस दौरान अदालत ने पूछा कि बच्चे के बारे में तो अतुल सुभाष की पत्नी, निकिता सिंघानिया के वकील ने बताया कि बच्चा उनके पास है। सुप्रीम कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर 20 जनवरी तक सुनवाई स्थगित कर दी।
जमानत मिलने पर आरोपियों की स्थिति
बेंगलुरु में अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को जमानत मिल गई थी। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह निकिता सिंघानिया के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला रद्द नहीं कर सकता, क्योंकि शिकायत में अपराध के तत्व दिखाई देते हैं।
आत्महत्या के आरोप और उत्पीड़न की कहानी
अतुल सुभाष ने दिसंबर में अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने एक 24 पन्नों का नोट छोड़ा, जिसमें उसने अपनी पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। बेंगलुरु पुलिस ने इस मामले में निकिता और उसके परिवार के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था।
अतुल सुभाष की आत्महत्या
34 वर्षीय अतुल सुभाष, जो एक निजी कंपनी में डिप्टी जनरल मैनेजर थे, ने 9 दिसंबर को अपने बेंगलुरु अपार्टमेंट में आत्महत्या की। उनके भाई की शिकायत पर उनकी पत्नी, मां और भाई के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया। पुलिस पूछताछ में निकिता ने आरोप लगाया कि अतुल ही उसे परेशान करता था।
आगे की प्रक्रिया
अब इस मामले में बेंगलुरु के सत्र न्यायालय में जमानत की प्रक्रिया जारी है, और इस पर भविष्य में कोर्ट का निर्णय आएगा।