पटना.बिहार के 58 नगर निकायों में हुए चुनाव के बाद सभी 805 सीटों के चुनाव परिणाम जारी कर दिए गए. इस चुनाव परिणाम से 741 वार्ड पार्षद, 32 उप मुख्य पार्षद और 32 मुख्य पार्षद निर्वाचित घोषित कर दिए गए. इस चुनाव परिणाम ने आने वाले चुनावों के लिए भी राजनीतिक दलों को कई संदेश दे दिए हैं. परिणाम घोषित होने के बाद जीते हुए प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ जश्न मनाने में लगे हैं, तो हारे हुए प्रत्याशी अपनी हार के कारणों को तलाश रहे हैं. सहरसा नगर निगम सीट पर आए परिणाम ने विपक्षी एकता में जुटे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कड़ा संदेश दिया है.
यहां मेयर पद के लिए 28 लोग अपना भाग्य आजमा रहे थे, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के दिवंगत विधायक संजीव झा की पत्नी और जदयू सांसद दिनेश चंद्र यादव की पत्नी के बीच था. भाजपा के दिवंगत विधायक की पत्नी बैन प्रिया को जीत हासिल हुई, वहीं जदयू सांसद की पत्नी रेणु सिन्हा तीसरे स्थान पर रहीं हैं.
इधर, चुनाव परिणाम ने भाजपा को सचेत होने के संदेश दिए हैं. बेतिया में भाजपा विधायक विनय बिहारी की पत्नी चंचला बिहारी को शिकस्त का सामना करना पड़ा. नगर निकाय चुनाव में बेतिया के मच्छगांवा नगर पंचायत के उपसभापति पद पर भाजपा से लौरिया विधायक विनय बिहारी की पत्नी चंचला बिहारी चुनाव लड़ी थी. चंचला बिहारी को मात मिली है. चंचला बिहारी को चुन्नी देवी ने 409 वोटों से पराजित किया है. भाजपा के लिए राहत की बात है कि पटना की महापौर सीता साहू की बहू श्वेता कुमारी वार्ड संख्या 58 से पार्षद का चुनाव जीत गई हैं. रविवार को उपचुनाव के मतों की गणना में उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी पूजा कुमारी को 1603 वोट से हरा दिया. यह सीट सीता साहू के महापौर बनने के बाद इस्तीफा देने से खाली हुआ था. सीता साहू को भाजपा का समर्थन प्राप्त है.
बता दें कि बिहार नगर निकाय चुनाव में महिलाओं ने वार्ड पार्षद, महापौर, उपमहापौर के कुल 458 पदों पर जीत दर्ज की है. बिहार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा रविवार को जारी परिणाम के अनुसार 21 जिलों की 31 नगरपालिकाओं में विभिन्न पदों के लिए 347 पुरुष उम्मीदवार भी चुने गए. पटना, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, वैशाली, नालंदा, नवादा, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, मुंगेर, लखीसराय, सहरसा, जमुई और बांका जिलों में नौ जून को मतदान हुआ था. पहली बार बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं की पहचान सत्यापित करने के लिए चेहरे की पहचान प्रणाली (एफआरएस) का इस्तेमाल किया था.