सिनेमाघरों में रिलीज के बाद विवादों में घिरी ‘एम्पुरान’, आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइजर’ ने निर्माताओं से किए तीखे सवाल

'Empuran' surrounded by controversies after its release in theatres, RSS mouthpiece 'Organizer' asked sharp questions to the producers

सिनेमाघरों में रिलीज होने के बाद से अभिनेता मोहनलाल और पृथ्वीराज सुकुमारन स्टारर फिल्म ‘एम्पुरान’ विवादों का सामना करती आ रही है। फिल्म में 24 कट और कुछ महत्वपूर्ण सुधार के बावजूद, अब आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइजर’ ने निर्माताओं से सवाल पूछते हुए फिल्म पर नई आलोचना की है।

निर्देशक पृथ्वीराज सुकुमारन और पटकथा लेखक मुरली गोपी पर यह आरोप लगाया गया है कि फिल्म में अभी भी “हिंदू विरोधी भावनाएं” बरकरार हैं। ऑर्गेनाइजर के हालिया लेख में दावा किया गया कि पात्रों के नाम और संवादों में बदलाव के बावजूद फिल्म के संदेश में कोई बदलाव नहीं आया है।

लेख में इस बात पर जोर दिया गया है कि फिल्म का कथानक मसूद सईद (पृथ्वीराज सुकुमारन) पर आधारित है, जो गुजरात दंगों में अपने परिवार को खोने के बाद आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) में शामिल हो जाता है। लेख में यह भी कहा गया कि फिल्म के एडिटेड संस्करण में भी इस्लामी आतंकवादियों को सहानुभूति दिखाते हुए उन्हें नायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

आलोचनाओं के बाद फिल्म के निर्माताओं ने कुल 24 कट्स लगाए और इसका एडिटेड वर्जन बुधवार को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाला है। लेकिन इसके बावजूद, ‘ऑर्गेनाइजर’ ने फिल्म में गुजरात दंगों से जुड़े दृश्यों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। लेख में कहा गया है कि फिल्म में समय तो बदल दिया गया है, लेकिन कहानी वही रही है, जिसमें हिंदुओं को नकारात्मक रूप में दिखाया गया है।

लेख में आरोप लगाया गया कि फिल्म के माध्यम से इस्लामी आतंकवाद के लिए हिंदुओं को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसके अलावा, निर्देशक पृथ्वीराज सुकुमारन और पटकथा लेखक मुरली गोपी से कई तीखे सवाल पूछे गए हैं, जैसे कि क्या मूल स्क्रिप्ट में कोई विवादास्पद तत्व थे जिन्हें बाद में हटा दिया गया था? राष्ट्रगान से संबंधित कौन से दृश्य सेंसर बोर्ड ने काटे थे? और क्या फिल्म के निर्माण में भारत और विदेश दोनों जगह राष्ट्र-विरोधी ताकतें शामिल थीं?

इस लेख के अंत में केरल के समाज से अपील की गई है कि वे फिल्म के निर्माताओं के “एजेंडे” की जांच करें। इसमें कहा गया है, “फिल्मों को केवल मनोरंजन के रूप में देखा जाना चाहिए, लेकिन पृथ्वीराज और मुरली गोपी को कलात्मक स्वतंत्रता की आड़ में सांप्रदायिक विभाजन और राष्ट्र-विरोधी विचारों को बढ़ावा देने के प्रयास के लिए माफी मांगनी चाहिए।”

‘एम्पुरान’ 27 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और अब यह विवादों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।

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