नई दिल्ली: दिल्ली में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच, दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार पर कड़ी टिप्पणी की है। सोमवार को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट को ठीक से न संभालने के लिए फटकार लगाते हुए कहा, “जिस तरह से आपने अपने कदम खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है।”
हाईकोर्ट की टिप्पणी
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की अगुवाई वाली एकल पीठ ने कहा कि सरकार ने विधानसभा सत्र को रोकने के लिए “अपने कदम खींचे हैं,” और सरकार को तुरंत रिपोर्ट को विधानसभा के स्पीकर को भेजने और सदन में चर्चा शुरू करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि समयसीमा स्पष्ट थी और सरकार ने जानबूझकर सत्र को रोकने के लिए कदम पीछे खींचे हैं।
दिल्ली सरकार ने इस पर सवाल उठाया कि चूंकि चुनाव नजदीक हैं, तो ऐसे में विधानसभा सत्र कैसे आयोजित किया जा सकता है?
क्या है पूरा मामला?
इस मामले में, दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने पहले अदालत से कहा था कि CAG रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने से कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है। यह मामला 7 भाजपा विधायकों द्वारा दायर याचिका के जवाब में उठाया गया था, जिसमें विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश करने के लिए विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी।
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, विधानसभा अध्यक्ष और अन्य संबंधित पक्षों से भाजपा विधायकों की याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें 14 ACG रिपोर्टें पेश करने के लिए विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी। दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि सभी 14 रिपोर्टें विधानसभा अध्यक्ष को भेज दी गई हैं।
दिल्ली चुनाव की तारीखें
दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 5 फरवरी को होंगे, और नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे।