भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए एक मेगा प्लान पर काम करने का ऐलान किया है। दोनों देशों ने मिलकर श्रीलंका में एक बड़ा एनर्जी हब बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है, जो क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा। यह घोषणा विदेश मंत्रालय ने शनिवार को की।
यह डील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान फाइनल हुई। यह यात्रा खास रही क्योंकि सितंबर में श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के सत्ता में आने के बाद किसी बड़े नेता का यह पहला दौरा था। हिंद महासागर के इस छोटे से देश में भारत और चीन के बीच एक नई होड़ मच चुकी है, और यह नया समझौता भारत को चीन के खिलाफ बढ़त दिला सकता है।
भारत और श्रीलंका के रिश्ते
भारत और श्रीलंका के रिश्ते पिछले कुछ सालों से लगातार मजबूत हो रहे हैं। 2022 में जब श्रीलंका भयानक आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब भारत ने उसे 4 अरब डॉलर की सहायता दी थी। अब यह नया समझौता इस क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगा। वहीं, चीन की कंपनी सिनोपेक ने श्रीलंका के हंबनटोटा शहर में 3.2 अरब डॉलर की ऑयल रिफाइनरी बनाने का ठेका लिया है, और भारत भी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पीछे नहीं रहना चाहता।
एनर्जी हब कहां बनेगा?
यह एनर्जी हब श्रीलंका के त्रिंकोमाली शहर में बनेगा, जो अपने प्राकृतिक बंदरगाह के लिए प्रसिद्ध है। यहां मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन बनाई जाएगी, और पुराने विश्व युद्ध के समय के टैंक फार्म का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जो इंडियन ऑयल कॉर्प की श्रीलंकाई कंपनी के पास है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कोलंबो में कहा कि UAE भारत का एक महत्वपूर्ण ऊर्जा साझेदार है, और इस प्रोजेक्ट के लिए वह सबसे उपयुक्त विकल्प था। UAE का इस परियोजना में क्या रोल होगा, यह आने वाली बिजनेस मीटिंग्स के बाद स्पष्ट होगा।
श्रीलंका का कर्ज संकट
यहां उल्लेखनीय है कि श्रीलंका 2022 में अपने कर्ज से डिफॉल्ट कर गया था, जिसके बाद जून में भारत, जापान और चीन के साथ कर्ज पुनर्गठन (रीस्ट्रक्चरिंग) के समझौते किए गए थे। श्रीलंका पर भारत के EXIM बैंक और SBI का 1.36 अरब डॉलर का कर्ज है।
इस नए एनर्जी हब के लिए तीनों देश अब कंपनियों को चुनेंगे जो इसकी फाइनेंसिंग और प्लानिंग को देखेंगे। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने 100 मिलियन डॉलर का सोलर पावर प्रोजेक्ट भी शुरू किया, जो भारत की NTPC और श्रीलंका की सेलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का जॉइंट वेंचर है।
इस योजना के साथ भारत और श्रीलंका ने कर्ज पुनर्गठन का काम भी पूरा कर लिया है, जिससे श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद जगी है।