जम्मू और कश्मीर: बर्फबारी और कोहरे के कारण सेना का ट्रक खाई में गिरा, तीन सैनिकों की मौत

Jammu and Kashmir: Army truck fell into a ditch due to snowfall and fog, three soldiers died

जम्मू और कश्मीर: जम्मू और कश्मीर में बर्फबारी, धुंध और कोहरे के चलते पहाड़ी राज्यों में हादसों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। कड़कती ठंड में पहाड़ी रास्ते अक्सर खतरनाक साबित होते हैं। जम्मू-कश्मीर में सेना के वाहनों के साथ हो रहे हादसों का सिलसिला जारी है। शनिवार को बांदीपोरा जिले में सेना का एक ट्रक सड़क से फिसलकर खाई में गिर गया, जिससे तीन सैनिकों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।

घटना का विवरण
अधिकारियों ने बताया कि यह दुर्घटना एसके पेयेन क्षेत्र के पास हुई। घायल सैनिकों को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। सेना के अधिकारियों के अनुसार, खराब मौसम और कम विजिबिलिटी की वजह से यह हादसा हुआ।

सेना का बयान
भारतीय सेना ने एक बयान जारी करते हुए कहा, “खराब मौसम और खराब विजिबिलिटी की स्थिति के कारण भारतीय सेना का एक वाहन फिसल गया और खाई में गिर गया। घायल सैनिकों को कश्मीरी स्थानीय लोगों की सहायता से चिकित्सा देखभाल के लिए तुरंत निकाला गया। हम उनकी मदद के लिए आभारी हैं।” बयान में कहा गया, “दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में तीन बहादुर सैनिकों की जान चली गई। भारतीय सेना शोक संतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है।”

पुंछ में पहले भी हुआ था ऐसा हादसा
यह हादसा एक महीने के भीतर दूसरा बड़ा हादसा है। पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भी एक सेना का ट्रक 300 फुट गहरी खाई में गिरने से पांच सैनिकों की मौत हो गई थी और पांच अन्य घायल हो गए थे। इस घटना के बाद सेना की व्हाइट नाइट कोर ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “व्हाइट नाइट कोर के सभी रैंक पुंछ सेक्टर में ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान एक वाहन दुर्घटना में पांच बहादुर सैनिकों की दुखद मौत पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”

नेताओं का शोक संदेश
इस हादसे पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अन्य नेताओं ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा, “मैं शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और घायल सैनिकों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।”

यह हादसा जम्मू-कश्मीर में सेना और सुरक्षा बलों के लिए मुश्किल मौसम में काम करने की कठिनाइयों को उजागर करता है।

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