झारखंड सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ सख्त कदम उठाया

Jharkhand government took strict action against the arbitrariness of private schools

रांची: झारखंड सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। स्कूली शिक्षा विभाग के मंत्री रामदास सोरेन ने फीस वृद्धि, रि-एडमिशन के नाम पर रकम वसूली और स्कूल द्वारा निर्धारित दुकानों से किताबें खरीदने जैसी शिकायतों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने साफ कहा कि जो स्कूल सरकार की गाइडलाइन का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ 50 हजार से लेकर 2.50 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

मंत्री के निर्देशों के बाद, उनके गृह जिले पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) में शिक्षा विभाग ने 78 प्राइवेट स्कूलों को नोटिस जारी किया है। इन स्कूलों पर सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन करने की शिकायतें मिली थीं। नोटिस में इन स्कूलों के मैनेजमेंट को 3 अप्रैल तक जवाब देने का समय दिया गया है।

नोटिस में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्कूल भवन, संरचना या परिसर का उपयोग केवल शिक्षा के उद्देश्य के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, स्कूल परिसर में किताबों या अन्य सामग्री (यूनिफॉर्म, जूते) की खरीद के लिए अभिभावकों या छात्रों को बाध्य करना भी गलत है। हालांकि, कई स्कूलों में अब भी इस नियम का उल्लंघन करते हुए किताबें बेचने का काम जारी है।

इसके अलावा, कई स्कूलों में नए सत्र से फीस वृद्धि की भी शिकायतें आई हैं। शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों के मैनेजमेंट को पिछले तीन वर्षों में फीस स्ट्रक्चर और उसमें हुई वृद्धि का रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया है। विभाग ने यह भी कहा कि विद्यालय स्तरीय फीस निर्धारण समिति का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए होता है, लेकिन कुछ स्कूल इसे नजरअंदाज कर रहे हैं।

शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने बताया कि सभी जिलों के आयुक्तों और उपायुक्तों को निर्देशित किया गया है कि वे झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के तहत शुल्क समितियों का गठन सुनिश्चित करें। इन समितियों में प्राचार्य, सचिव, विद्यालय प्रबंधन के मनोनीत तीन शिक्षक और शिक्षक संघ द्वारा नामित चार अभिभावक सदस्य होंगे। स्कूल प्रबंधन को फीस निर्धारण के एजेंडा और बैठक की जानकारी एक सप्ताह पहले देनी होगी।

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