पटना: बिहार के पूर्णिया जिले के अमौर थाना क्षेत्र के ताराबाड़ी घाट में शुक्रवार देर रात पुलिस और एसटीएफ की टीम के साथ मुठभेड़ में दुर्दांत डकैत सुशील मोची मारा गया। उसका आपराधिक नेटवर्क बिहार के पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और झारखंड तक फैला हुआ था।
मुठभेड़ की शुरुआत
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार की रात पुलिस को सूचना मिली थी कि डकैत सुशील मोची अपने साथियों के साथ ताराबाड़ी घाट स्थित बहियार में छिपा हुआ है और किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है। इसके बाद एसटीएफ की टीम और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम मौके पर पहुंची। जैसे ही पुलिस टीम ने डकैतों को घेरने की कोशिश की, डकैतों ने पुलिस पर गोली चलानी शुरू कर दी। पुलिस ने भी आत्मरक्षार्थ जवाबी फायरिंग की, और लगभग 10 मिनट तक दोनों ओर से गोलीबारी होती रही।
डकैत सुशील मोची की मौत
मुठभेड़ के बाद पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया, जिसमें मक्के के खेत से एक शव बरामद हुआ। शव की पहचान डकैत सुशील मोची के रूप में हुई, जो अनगढ़ थाना क्षेत्र का निवासी था। सुशील मोची पर बिहार पुलिस ने 1.50 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
पुलिस ने घटना की जानकारी ली
घटना की सूचना मिलते ही पूर्णिया के एसपी कार्तिकेय शर्मा और डीआईजी प्रमोद कुमार मंडल ने मौके पर पहुंचकर पूरी जानकारी ली। वहीं, एफएसएल की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर सभी सबूत इकट्ठा किए। शव को पोस्टमार्टम के लिए पूर्णिया भेजा गया है।
डकैत सुशील मोची का आपराधिक नेटवर्क
एसपी कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि मारा गया डकैत सुशील मोची एक दुर्दांत अपराधी था, जो पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, और पश्चिम बंगाल में कई अपराधों को अंजाम दे चुका था। वह इन क्षेत्रों में अपनी एक टीम बनाए रखता था और खुद उनका नेतृत्व करता था। मुख्य रूप से वह डकैती की घटनाओं को अंजाम देता था। पुलिस को शव के पास से एक कार्बाइन और देसी पिस्तौल भी बरामद हुई है।
आगे की जांच
पुलिस के मुताबिक, इस घटना में कुछ अन्य डकैतों के भागने की खबर है, जिनकी तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच तेज कर दी है और अब तक मिले सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।