लखनऊ: संभल में स्थित मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त कोर्ट कमिश्नर ने गुरुवार को चंदौसी की एक स्थानीय अदालत में 45 पन्नों की एक सीलबंद रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में वीडियोग्राफी भी शामिल है, लेकिन इसकी सामग्री तब तक सार्वजनिक नहीं की जाएगी जब तक सर्वोच्च न्यायालय कोई आदेश जारी नहीं कर देता।
सर्वेक्षण का कारण
यह सर्वेक्षण वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन सहित आठ लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद 19 नवंबर को अदालत द्वारा आदेशित किया गया था। इसका उद्देश्य यह जानना था कि क्या मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर द्वारा 1529 में श्री हरिहर मंदिर के स्थल पर किया गया था या नहीं।
हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद वह स्थान है जहां “भगवान विष्णु का कल्कि अवतार प्रकट होगा।” सर्वेक्षण 19 और 24 नवंबर को संभल के कोट पूर्वी इलाके में मस्जिद में किया गया था, जो विवादों में भी रहा। इस दौरान एएसआई टीम के निरीक्षण का विरोध किया गया और बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी।
रिपोर्ट में क्या है?
कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में 1,000 से अधिक तस्वीरें और वास्तुकला संबंधी निष्कर्ष शामिल हैं, जैसे खंभों पर कमल की आकृतियाँ और मस्जिद में नक्काशीदार कलश। यह रिपोर्ट मस्जिद के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करती है।
सर्वोच्च न्यायालय की रोक
सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण से संबंधित नए मुकदमों और आदेशों के पंजीकरण पर रोक लगाने का निर्देश दिया था, जिससे इस मामले पर देशभर की निगाहें लगी हुई हैं।
विवाद और पुलिस चौकी का मामला
संभल हाल ही में उस समय भी चर्चा में आया जब मस्जिद के पास कथित वक्फ भूमि पर पुलिस चौकी के निर्माण के आरोप लगे थे। एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया था कि जामा मस्जिद के पास पुलिस चौकी वक्फ भूमि पर बनाई जा रही है। हालांकि, संभल के जिलाधिकारी ने इन आरोपों से इनकार किया है।