प्राइवेट सेक्टर में नौकरी बदलने से होने वाले टैक्स नुकसान से बचने के उपाय

Ways to avoid tax loss due to changing jobs in private sector

प्राइवेट सेक्टर में सैलरीड पर्सन के लिए नौकरी बदलना कई बार अच्छा अहसास देता है। नया ऑफिस, नए लोग, नया कैफेटेरिया, नया काम और पहले से ज्यादा सैलरी। लेकिन, अगर आपकी नौकरी छोड़ने और नई नौकरी शुरू करने की टाइमिंग सही नहीं रही, तो इससे आपके पैसों का खासा नुकसान हो सकता है।

अगर आपने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 खत्म होने यानी 31 मार्च 2025 से पहले नौकरी बदली है, तो आपको अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, ताकि आपके पैसों का नुकसान न हो।

ITR में दिखानी होगी सैलरी डिटेल
अगर आपने फाइनेंशियल ईयर के दौरान या इसके खत्म होने से कुछ दिनों पहले नौकरी बदली है, तो आपको इनकम टैक्स रिटर्न भरने की तैयारी दूसरे तरीके से करनी होगी। क्योंकि, नौकरी बदलने पर आपको एक ही फाइनेंशियल ईयर में दो संस्थानों से सैलरी मिलती है। इसका मतलब हुआ कि आपको दो जगहों से मिल रही सैलरी की डिटेल अपने ITR में दिखानी होगी।

नई नौकरी ज्वॉइन करने पर क्या करें?
जब आप नई नौकरी ज्वॉइन करते हैं, तो आपको अपने एम्प्लॉयर को पिछले एम्प्लॉयर के बारे में जानकारी देनी होती है। पिछली कंपनी में आपकी टैक्सेबल इनकम कितनी थी? कितना PF कटता था? कितना TDS डिडक्ट होता था… वगैरह। पिछले एम्प्लॉयर से आपको इस दौरान कितनी सैलरी मिली, इसकी जानकारी भी आपको देनी होगी। आपको अपने सैलरी स्लिप और बाकी डॉक्युमेंट्स तैयार रखने होंगे।

पुरानी कंपनी से जरूर लीजिए फॉर्म 16
सैलरीड क्लास फॉर्म 16 से वाकिफ होंगे। हर साल इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए इसकी हमें जरूरत पड़ती है। ये कंपनी या एम्प्लॉयर की ओर से दिया जाता है। कंपनियों के लिए 15 जून तक हर हाल में अपने कर्मचारियों को फॉर्म 16 जारी कर देना अनिवार्य है। अगर आपको अपनी पुरानी कंपनी से फॉर्म 16 जारी नहीं किया गया, तो आप ईमेल या कॉन्टैक्ट करके अपना फॉर्म 16 जरूर मांगिए।

फॉर्म 16 में ऐसा क्या होता है?
फॉर्म 16 में आपकी सैलरी की पूरी डिटेल, TDS डिडक्शन, HRA कैल्कुलेशन, 80C के तहत मिली छूट और स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी ब्योरा रहता है।

फॉर्म 16 मिलने पर क्या करें?
सबसे पहले तो आप दोनों कंपनियों से आए फॉर्म 16 को अच्छे से चेक करें। दोनों कंपनियों से हुई कमाई को जोड़ लें। पार्ट B में आपकी कुल सैलरी का ब्योरा रहता है, जिसमें टैक्स छूट के लिए किए गए दावे और टैक्स के दायरे से बाहर रहने वाले अलाउंस भी शामिल होंगे।

HRA और LTA को करें एड
आप दोनों फॉर्म 16 के HRA और LTA एड कर लें। दूसरे टैक्स रिलीफ भी देख लें। इससे आपको यह पता चलेगा कि कितनी रकम पर टैक्स छूट मिल सकती है। बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से हर साल 50 हजार रुपये तक स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा मिलता है।

सैलरी स्लिप भी आएगा काम
अगर किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से फॉर्म 16 नहीं मिला है, तो भी वह सैलरी स्लिप के आधार पर कुल सैलरी को जोड़कर टैक्सलेबल अमाउंट निकाल सकता है। इसमें दूसरे सोर्सेज से हुई कमाई को शामिल कर अपना रिटर्न भर सकते हैं।

तैयार रखें इंवेस्टमेंट के डॉक्युमेंट
अगर आप अपनी नई कंपनी को पुरानी कंपनी से मिली सैलरी की जानकारी नहीं देते हैं या फॉर्म 16 नहीं देते हैं, तो आपका एम्प्लॉयर टैक्स का कैल्कुलेशन बाकी बचे महीनों के आधार पर करता है। इससे बचने के लिए इनकम टैक्स फाइल करने से पहले आप अपने निवेश के कागजात तैयार रखें।

PF से पैसा निकालना भी टैक्सेबल इनकम
आपकी सैलरी का एक हिस्सा रिटायरमेंट फंड में हर महीने जमा होता है। लगातार 5 साल तक सर्विस किए बिना पैसा निकालना टैक्सेबल इनकम होता है। प्रॉविडेंट फंड में जमा पैसा 5 साल के बाद टैक्स फ्री हो जाता है। इसलिए इस बात का ख्याल रखें।

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