खजौली(चौथी वाणी)।मधुबनी जिले में पंचायती राज संस्थान में कार्यरत शिक्षकों के वेतन निर्धारण में त्रुटि सुधार नहीं होने से संबंधित शिक्षकों में असंतोष एवं काफी आक्रोश है। इस संबन्ध में बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ प्रखंड इकाई खजौली के प्रखंड अध्यक्ष प्रदीप कुमार अपने पत्रांक 01 दिनांक 11 जनवरी 2022 के माध्यम से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ( स्थापना) मधुबनी को अभ्यावेदन समर्पित कर इस विसंगति को दूर करने का गुहार लगा चुके है, परिणाम ढाक के तीन पात ही निकला। जिले के सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा वेतन विसंगति की बिना जांच किए हीं जैसे तैसे अग्रसारण कर स्थापना कार्यालय में सुपुर्द कर दिया गया है। संबंधित शिक्षकों के द्वारा संगठन पर दबाब बनाया जा रहा है कि इस विसंगति को दूर कराया जाय। शिक्षकों के भावना को देखते हुए पुनः बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष श्री कुमार ने 11 मार्च 2022 को लिखित आवेदन देकर जिला शिक्षा पदाधिकारी मधुबनी से इस विसंगति को दूर करने का गुहार लगाया है। ज्ञातव्य हो कि अपर सचिव सह निदेशक(माध्यमिक शिक्षा) के पत्रांक 11 वि1-08/13 ( अंश 3) 754 दिनांक 20.04.2020 के द्वारा सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेशित किया गया था कि विभागीय आदेश ज्ञापांक 1900 दिनांक 4.01.2019 के आलोक में नियोजित शिक्षकों कब वेतनमान के निर्धारण में त्रुटि का निवारण करके किसी भी प्रकार का अधिकाय व्यय नही होने दिया जाएगा। फिर भी जिले के कतिपय प्रखंडों में उक्त पत्र में वर्णित कंडिका 3(4) का अनुपालन नही किया गया। इस संदर्भ में जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी निदेशित किया गया था कि विषयांकित आदेश के कार्यान्वयन विशेषकर उक्त आदेश की कंडिका 3 (4) के कार्यान्वयन की समीक्षा सह जांच अपने स्तर से कर ले यदि संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) द्वारा उक्त त्रुटि का यथोचित निराकरण अब तक नहिबकीय गया हो तो उनके विरुद्ध आरोप गठित कर विभाग को प्रतिवेदित करते हुए उसका निराकरण करना सुनिश्चित करे यदि 15.05.2020 के बाद भी पुनरीक्षित वेतनमान के निर्धारण ने किसी स्तर से त्रुटि संसूचित होता है, तो इसकी जाँच कराकर आप पर भी जिम्मेवारी निर्धारित करने की वाध्यता होगी।इसके बाबजूद भी वेतन विसंगति जैसे महत्वपूर्ण बिंदु का नजर अंदाज कर न तो वेतन विसंगति की ही दूर किया गया न ही संवंधित पदाधिकारी पर आरोप गठित किया गया जिससे नियोजित शिक्षकों में आक्रोश है।सर्वत्र चर्चा बना हुआ है कि इस विभाग में उच्चाधिकारी के आदेश का कोई मायने नही है।
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