शरद यादव को अंतिम समय में सभी ने भुला दिया – उपेन्द्र कुशवाहा

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शरद यादव को अंतिम समय में सभी ने भुला दिया – उपेन्द्र कुशवाहा 

पटना- बिहार की राजनीति में किंग मेकर की सभी भूमिका निभाने वाले सब यादव कार्ड तेरा देश की राजधानी दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। जिसके बाद बिहार की राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। बिहार के तमाम छोटे-बड़े नेता आज इनको याद कर अपनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं l इसी दौरान जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी इनके निधन पर शो अर्पित करते हुए पार्टी के नेताओं पर इशारों ही इशारों में बड़ा आरोप लगाया है।

श्री कुशवाहा ने कहा है कि, शरद जी के निधन की खबर रात में ही मिली बेहद ही दुखित है। उनके निधन से इतना बड़ा नुकसान हुआ है इतनी बड़ी क्षति हुई हैl जिसकी भरपाई कोई भी नहीं कर सकता है। शरद यादव देश में सामाजिक न्याय के एक केंद्र बन गए थे। इनके अलावा कोई दूसरा केंद्र ही नहीं बचा था। दिल्ली से यही निर्देश देते थे तो सामाजिक न्याय की गतिविधि चलती थी। अब उनके जाने के बाद वह सेंटर ही समाप्त हो गया है इससे बड़ा नुकसान कुछ नहीं हो सकता है।

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वह जीवन भर दलितों के लिए वंचितों के लिए संघर्ष करने वाले का अंत जिस रूप में हुआ हाल के दिनों में जिस तरह से मानसिक स्थिति उनकी बन गई थी वह बहुत ही दुखद स्थिति थी भगवान ना करे कि इस तरह का अंत किसी को मिले। इसका कारण है कि राजनीतिक रूप से उन्होंने जिन लोगों को संघर्ष कर बढ़ाया वैसे लोग ही उनसे अंतिम समय में बात करना छोड़ दिए थे। श्री

कुशवाहा ने कहा कि, शरद जी इस बात से हमेशा परेशान रहते थे कि, पिछले कुछ दिनों से उनका समाचार लेने वाला कोई नहीं है। कुशवाहा ने इशारों इशारों में अपने ही पार्टी के नेताओं पर निशाना साधा है।

गौरतलब हो कि, शरद यादव पिछले कई दिनों से बीमार थे। शरद यादव गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे। बीते रात जब उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस लिया। इनका जन्म 1 जुलाई 1947 को हुआ था। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी सुभाषिनी ने यादव ने फेसबुक पेज पर दी है। बिहार की राजनीति में एक समय यादव की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। कभी लालू प्रसाद यादव के साथ तो कभी विरोधी की भूमिका मे भी उनका स्थान था। वही अपनी पार्टी को नीतीश कुमार की पार्टी में विलय किया और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे नीतीश कुमार से नहीं बनने की स्थिति में उन्हें पार्टी छोरनी परी थी। कुछ दिन पहने उन्होंने कहा था आज मेरी आर्थिक स्थिति थी नहीं है। दिल्ली में रहने की जगह भी नहीं है ये बाते उन्होंने मीडिया के सामने कहीं पर किसी शुभ चिन्तकों ने उनके इस बातों पर ध्यान नहीं दिया अंततः व समय आ ही गई जब वे सभी को छोर गये। राजनीति में कोई किसी का नहीं होता ये बताया है। स्व: यादव ने जिन लोगों को उन्होंने सत्ता के गलियारों से उठाकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचाया सभी ने अंत समय में छोर दिया।

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