सहरसा जेल में सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को 15 दिन की पैरोल जेल से हुए बाहर
पटना से रूपेश कुमार सिंह के साथ अनिल राज की रिपोर्ट।
डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में मिली थी उम्रकैद की सजा
पटना पूर्व सांसद आनंद मोहन जेल से बाहर आ गये।
ज्ञात हो कि
गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी.कृष्णनैया हत्याकांड मामले में सहरसा मंडल कारा में सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन 15 दिनों के लिए पैरोल पर जेल से बाहर आ गये हैं।
इस बात की जानकारी सहरसा जिला प्रशासन ने दी है। उन्होंने बताया कि जेल आईजी द्वारा सहरसा जेल सुपरिटेंडेंट को एक पत्र जारी किया गया है जिसमें आनंद मोहन को रिहा करने का निर्देश दिया गया है। आनंद मोहन ने पैरोल पर रिहाई के लिए अर्जी दी थी। बताया था कि वे अपनी बेटी के इंगेजमेंट में शामिल होना चाहते हैं और बूढ़ी मां को देखना चाहते हैं।
इसको लेकर दिये गये अर्जी पर 15 दिनों के लिए पैरोल पर जेल से बाहर निकालने की अनुमति पूर्व सांसद आनन्द मोहन को दी गई है l पैरोल पर अगले 15 नवंबर तक वे जेल से बाहर रहेंगे। आनंद मोहन की रिहाई की खबर जैसे ही उनके समर्थकों को मिली वे खुशी से झूम उठे। कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है। अब आस लगाया जा रहा है कि इनके 15 दिनों तक जेल से बाहर रहने पर राजनीति में भी हलचल देखने को मिलेगी। क्योंकि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णय्या हत्याकांड मामले में वे उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। अब आनंद मोहन को 15 दिनों के पैरोल पर बाहर आने की अनुमति मिली है। आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और उनके बेटे चेतन आनंद फिलहाल आरजेडी में है. चेतन आनंद आरजेडी के विधायक हैं. आनंद मोहन लंबे अरसे से जेल में बंद है और उनको रिहा करने की मांग समर्थकों की तरफ से लगातार उठती रही है. आनंद मोहन की रिहाई ऐसे वक्त में हो रही है जब बिहार की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उसमे भी कुछ न कुछ आनन्द मोहन जी की अपनी भूमिका निश्चित ही होगी
राजपूत बिरादरी से आने वाले आनंद मोहन को लेकर उनके समर्थक लंबे अरसे से रिहाई की मांग करते रहे हैं. उनका कहना है कि आनंद मोहन राजनीतिक द्वेष के शिकार रहे हैं. उनके खिलाफ मामला खत्म होना चाहिए और उनकी रिहाई होनी चाहिए. आपको बता दें कि साल 1994 में मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन उस प्रोसेशन में शामिल थे, जिसमें छोटन शुक्ला की शव यात्रा निकाली गई थी.
इस यात्रा के दौरान गोपालगंज के तत्कालीन की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में दोषी करार दिए गए और उन्हें उम्र कैद की सजा हुई. इसको लेकर नीतीश कुमार के ऊपर भी उनके समर्थक आरोप लगाते रहे कि वे नहीं चाहते हैं कि आनंद मोहन जेल से बाहर आए, लेकिन बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद इस बात की उम्मीद बढ़ी.
इस सब के बावजूद फिलहाल वे केवल पैरोल पर ही बाहर आए हैं. उनके जेल से बाहर आने की खबर को लेकर उनके समर्थकों के बीच उत्साह है. चर्चा यह भी है कि जेडीयू के एक एमएलसी जो राजपूत जाति से आते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस बाबत आग्रह भी किया था खुद तेजस्वी यादव भी चाहते हैं कि उनके विधायक के पिता आनंद मोहन को लेकर नरमी बरती जाए।
सियासी जानकार मानते हैं कि गोपालगंज और मोकामा विधानसभा उपचुनाव के बीच आनंद मोहन की रिहाई महागठबंधन के लिए एक बड़ा ट्रम्कार्ड हो सकता है. राजपूत जाति के वोटर फिलहाल महागठबंधन से ज्यादा बीजेपी की तरफ झुकाव देखे जा रहे हैं. ऐसे में गोपालगंज सीट और मोकामा में भी आनंद मोहन की रिहाई से एक बड़ा मैसेज जा सकता है.
आनंद मोहन को पैरोल मिलने की खबर का कितना असर हो पाता है और उपचुनाव में महागठबंधन को इसका क्या फायदा मिल पाता है यह तो नतीजे बताएंगे, लेकिन फिलहाल आनंद मोहन के समर्थकों और उनके परिवार के लिए इससे अच्छी खबर है पूर्व सांसद आनन्द मोहन 15 दिनों तक जेल से बाहर रहेंगे. आगे चुकी आनन्द के बेटा चेतन आनन्द राजद विधायक है और आज राजद की बिहार में सरकार है। फिर देखते है आगे होता है क्या