सीवान(चौथी वाणी)। जिले के किसानों की पीड़ा दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। शासन-प्रशासन की उदासीनता के कारण किसान काफी परेशान दिख रहे हैं। रबी फसल की खेती के पीक सीजन में किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित दर पर बाजारों में डीएपी एवं यूरिया खाद नहीं मिल रही है। कड़ी मेहनत के बाद खलिहानों में तैयार धान भी सरकारी क्रय केन्द्रों पर नहीं बिक रहा है। किसान अपनी उपज को बाजारों में औने-पौने दाम पर बेचकर अधिक दाम पर डीएपी व यूरिया खाद की खरीदारी कर गेहूं-चना की बुआई कर रहे हैं।जिले का किसानों कहना है कि किसान अपनी कड़ी मेहनत कर खेतो में फसल तो उगाते है लेकिन मौसम की मार से उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है।कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ तो कभी उमीद से अधिक बेमौसम बारिश से किसानों के फसल बर्बाद हो जाते है।सरकार किसानों के लुई बहुत सारे सब्सिडी सहायता की ब्यवस्था भी की है लेकिन जरूरतमन्द किसानों तक इनकी लाभ नही पहुंच पाती है।यूरिया के नाम पर कालाबाजारी आये दिन होती है।इस बार तो जिले में प्रयाप्त मात्रा में बाजारों में यूरिया तो उपलब्ध है और सरकार कालाबाजारी रोकने के लिए आधार कार्ड और बायोमैट्रिक तरीके से यूरिया की खरीदारी करने की फरमान जारी किया है। लेकिन फिर भी कुछ जगहों पर की इसकी कालाबाजारी रोक नही पाती है.सरकार यूरिया के सब्सिडी के नाम पर किसानों से अधिक पैसे ऐंठे जा रहे है।समय से बारिश न होने के कारण किसान पम्पसेट के सहारे खेतो की सिंचाई करते है।सरकार पहले डीजल अनुदान के नाम पर किसानों को कुछ सहायता मुहैया कराती थी लेकिन अब उसमें भी कालाबाजारी की समस्या आ गई है।
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