नालन्दा कॉलेज में दो दिनों तक ” पर्यावरण आंदोलन और नारी ” पर होगी चर्चा

बिहारशरीफ (चौथी वाणी)I नालन्दा कॉलेज में अगले दो दिनों तक पर्यावरण आंदोलन और नारी विषयक चर्चा होगी जिसमें पीपीयू के कुलपति प्रो आर के सिंह, नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो बैद्यनाथ लाभ सहित अनेक विद्वतजन, शिक्षक और शोधार्थी चर्चा करेंगे I इस दौरान 200 से अधिक शोध पत्र पढ़े जाएंगे और प्रकृति जन्मे प्रकृति केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई जाएंगी।अवसर होगा, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहयोग से नालंदा कॉलेज इतिहास विभाग और इतिहास संकलन समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का ।रविवार को इस संगोष्ठी के आयोजन समिति के अध्यक्ष सह- प्राचार्य डॉ रामकृष्ण परमहंस, समन्वयक डॉ. रत्नेश अमन, सह-समन्वयक डॉ. विनीत लाल और मीडिया प्रभारी डॉ ध्रुव कुमार ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी दी।समन्वयक डॉ रत्नेश अमन ने बताया कि इस अवसर पर पढ़े जाने वाले 205 शोध आलेखों के सारांश का संकलन केंद्रित स्मारिका का लोकार्पण भी होगा I प्राचार्य डॉ रामकृष्ण परमहंस ने बताया कि कुलपति प्रो.  आर. के सिंह पहली बार नालंदा कॉलेज प्रांगण में आ रहे हैं, इसलिए उनके स्वागत की भव्य तैयारी की गई है I कुलपति कॉलेज के पुनर्निर्माण के पश्चात तैयार सभागार का उद्घाटन भी करेंगे।सह समन्वयक डॉ विनीत लाल ने बताया कि सभी शोधार्थियों को एक बैग और किट आयोजन की तरफ से उपलब्ध कराया जाएगा I साथ ही उनके ठहरने और भोजन की उत्तम व्यवस्था की गई है।” भारतीय इतिहास में नारी और पर्यावरण आंदोलन : एक दृष्टि ” विशेष संगोष्ठी का उद्घाटन पाटलिपुत्र विवि के कुलपति प्रो. आर के सिंह करेंगे, जबकि नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो बैद्यनाथ लाभ और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली के संगठन सचिव बालमुकुंद पांडे विशिष्ट अतिथि होंगे।मुख्य वक्ता पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. माया शंकर होंगी, जबकि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. एस. एन. आर्या और इतिहास भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य प्रो. राजीव रंजन विशिष्ट वक्ता होंगे।संगोष्ठी के मीडिया प्रभारी -सह- बीएड विभागाध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार ने बताया कि प्रत्येक कालखंड में नारियों की भूमिका युगांतरकारी रही है।इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के जरिए उन भारतीय नारियों को इतिहास में रेखांकित करने की कोशिश की जाएंगी, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए जी तोड़ कोशिश की और आवश्यकता पड़ने पर अपने प्राणों की आहुति भी दे दी I

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