प्रख्यात शोधकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक डॉ. रणबीर सिंह फौगाट के अनुसार, हांसी-भूटाना नहर परियोजना के विचार के बारे में लोग आज भी अनजान हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस योजना को अपनी राजनीतिक चाल के रूप में प्रस्तुत किया। कांग्रेस ने पहले तो इस नहर का वादा किया, लेकिन बाद में कुछ नहीं किया। बाद में की गई व्यवहार्यता अध्ययन में यह स्पष्ट हो गया कि इस क्षेत्र में उत्तर से दक्षिण-पूर्व की ओर बहने वाली इस नहर का निर्माण भूवैज्ञानिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं था।
इस परियोजना से जुड़े विवाद, आंदोलन, अधूरे निर्माण कार्य, पर्यावरणीय नुकसान, टोपोग्राफी में बदलाव, भूमि अधिग्रहण मुआवजा, बर्बाद सामग्री और लोगों को हुई असुविधा के संदर्भ में खर्च की गई सामाजिक और राजनीतिक ऊर्जा का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि हरियाणा सरकार की सरकारी एजेंसियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया और न ही उन्होंने इस परियोजना की असफलता के कारण हुए सामाजिक, तकनीकी, वित्तीय और पर्यावरणीय नुकसानों का कोई आकलन किया। इस राजनीतिक उन्माद ने तीन दशकों से अधिक समय तक जनता को बड़े पैमाने पर परेशान किया, और इसमें शामिल नेताओं की मंशाएं वास्तविक नहीं थीं।