नई दिल्ली। हरियाणा के बाद अब दिल्ली में भी कांग्रेस अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस की दिल्ली इकाई के प्रमुख देवेंद्र यादव ने शुक्रवार, 29 नवंबर को घोषणा की कि पार्टी फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में सभी 70 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस का किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं होगा।
“70 सीटों पर लड़ेंगे, कोई गठबंधन नहीं”
देवेंद्र यादव ने दिल्ली में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद यह बयान दिया। उन्होंने कहा,
“हम दिल्ली की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। हमारे जीतने के बाद ही नेता चुना जाएगा। दिल्ली में कोई गठबंधन नहीं होगा।”
इस घोषणा ने विपक्षी INDIA गठबंधन के भीतर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है, क्योंकि आम आदमी पार्टी (आप) इस गठबंधन का हिस्सा है।
कांग्रेस का जोर: “आप और बीजेपी दोनों का कुशासन”
कांग्रेस की दिल्ली न्याय यात्रा के चौथे चरण का नेतृत्व करते हुए देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली के नागरिक आप और बीजेपी दोनों के कुशासन से परेशान हैं।
बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही।
गरीबों को राशन कार्ड से वंचित किया जा रहा।
सड़कें खराब हैं और प्रदूषण नियंत्रण से बाहर हो गया है।
महंगाई ने महिलाओं को परेशान कर रखा है।
उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक को “दिखावे का केजरीवाल मॉडल” बताते हुए इसकी आलोचना की।
कांग्रेस की तैयारी: प्रियव्रत सिंह संभालेंगे “वॉर रूम”
दिल्ली में लगातार 15 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में बुरी हार का सामना किया है। पार्टी की स्थिति मजबूत करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रियव्रत सिंह को विधानसभा चुनाव के लिए “वॉर रूम” का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
गठबंधन की रणनीति पर सवाल
कांग्रेस का यह निर्णय विपक्षी एकता पर सवाल खड़े करता है, खासकर जब INDIA गठबंधन की पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर रही हैं।
दिल्ली में कांग्रेस की इस नई रणनीति पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजर है। पार्टी का लक्ष्य न केवल अपनी खोई हुई जमीन वापस पाना है, बल्कि आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी को सीधी टक्कर देना भी है।