फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फ्रांस्वा बायरू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया

French President Emmanuel Macron appoints Francois Bayrou as new Prime Minister

पेरिस : फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार (14 दिसंबर) को फ्रांस्वा बायरू को देश का नया प्रधानमंत्री नामित किया है। मैक्रों के कार्यालय से जारी बयान में बताया गया कि बायरू को अब नई सरकार बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, बायरू 2025 का बजट तैयार करेंगे, जिसे नेशनल असेंबली द्वारा स्वीकृत किया जाएगा।

मिशेल बार्नियर की जगह लेंगे बायरू
बायरू, जो कि मैक्रों के मध्यमार्गी सहयोगी हैं, मिशेल बार्नियर की जगह लेंगे। बार्नियर को 4 दिसंबर को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटा दिया गया था। इस नियुक्ति के बाद, बायरू को विभिन्न दलों के नेताओं के साथ बातचीत करने की उम्मीद है ताकि वे नए मंत्रियों का चयन कर सकें और सरकार का गठन कर सकें।

मैक्रों का 2027 तक बने रहने का संकल्प
मैक्रों ने पिछले हफ्ते यह संकेत दिया था कि वह 2027 में अपने कार्यकाल के अंत तक पद पर बने रहेंगे। उनके कार्यालय की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया कि बायरू को नई सरकार बनाने का कार्य सौंपा गया है, जिससे आगामी राजनीतिक बदलावों का रास्ता साफ हुआ है।

बायरू का राजनीतिक करियर
फ्रांस्वा बायरू का राजनीतिक करियर काफी लंबा और विविध रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका जन्म 1952 में हुआ था और उन्होंने 2007 में मध्यमार्गी पार्टी “डेमोक्रेटिक मूवमेंट” (मोडेम) की स्थापना की थी। बायरू ने 2002, 2007 और 2012 में राष्ट्रपति चुनावों में भाग लिया था, हालांकि वे कभी भी चुनाव नहीं जीत पाए।

बायरू के पीएम पद की घोषणा पर आलोचकों की प्रतिक्रिया
बायरू के प्रधानमंत्री बनने की घोषणा के बाद, दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली (आरएन) के अध्यक्ष जॉर्डन बार्डेला ने फ्रांसीसी समाचार चैनल बीएफएमटीवी से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी बायरू की तुरंत आलोचना नहीं करेगी, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बायरू को यह समझना चाहिए कि उनके पास न तो लोकतांत्रिक वैधता है और न ही नेशनल असेंबली में बहुमत। ऐसे में उन्हें संसद में प्रतिनिधित्व करने वाली सभी ताकतों के साथ बातचीत करने की आवश्यकता है।

सुलह और एकजुटता की आवश्यकता पर जोर
फ्रांस्वा बायरू ने शुक्रवार दोपहर प्रेस से बात करते हुए सुलह और एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हर कोई इस कार्य की कठिनाई को समझता है। हमें ऐसा रास्ता खोजना होगा जो लोगों को विभाजित करने के बजाय उन्हें एकजुट करे।”

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