ढाका: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में, क्रिसमस के दिन बांग्लादेश के बंदरबन जिले में ईसाई समुदाय के 17 घरों को अज्ञात बदमाशों ने जला दिया। यह घटना 25 दिसंबर को लगभग 12:30 बजे लामा उपजिला के सराय यूनियन के नोतुन तोंगझिरी त्रिपुरा पारा में हुई, जब स्थानीय लोग क्रिसमस का त्योहार मना रहे थे। बदमाशों ने इन घरों में आग लगा दी और मौके से फरार हो गए। इसके परिणामस्वरूप, कई परिवार अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं क्योंकि उनके घर पूरी तरह से जलकर राख हो गए हैं।
लंबे समय से दबाव का सामना कर रहे ईसाई समुदाय के लोग
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र ‘द डेली स्टार’ के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब क्रिसमस के जश्न में व्यस्त लोग इस हिंसा का शिकार हुए। यह इलाका लंबे समय से त्रिपुरा ईसाई समुदाय के लोगों का घर था, लेकिन कुछ साल पहले इन्हें जबरन बेदखल कर दिया गया था। नोतुन तोंगझिरी पारा के मुखिया पैसाप्रू त्रिपुरा ने बताया कि उन्हें इस इलाके से चार-पांच साल पहले जबरन निकाल दिया गया था।
शेख हसीना के शासन के दौरान हुआ था भूमि हस्तांतरण
रिपोर्ट्स के अनुसार, शेख हसीना के शासन के दौरान इस इसाई समुदाय की जमीन पुलिस महानिरीक्षक बेनजीर अहमद ने अपनी पत्नी के नाम पर पट्टे पर दे दी थी। हसीना शासन के पतन के बाद कुछ परिवार वापस लौट आए थे, लेकिन अब उनकी स्थिति फिर से दयनीय हो गई है। इस आगजनी में समुदाय को लगभग 15 लाख टका (करीब 10 लाख भारतीय रुपये) का नुकसान हुआ है।
पहले भी हुए थे हिंदू मंदिरों पर हमले
इससे पहले, 20 दिसंबर को बांग्लादेश के मैमनसिंह और दिनाजपुर क्षेत्र में तीन हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई थी और आठ मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और मंदिरों पर हमलों से भारत में भी सियासी माहौल गर्म हो गया है। भारतीय संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने बताया कि बांग्लादेश में इस साल आठ दिसंबर तक हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के कुल 2,200 मामले सामने आए हैं।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रही हिंसा अब एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है, और इससे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई है।