नई दिल्ली: कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने दिल्ली विश्वविद्यालय में 100 दिवसीय कौशल महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित किया। वह इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। शिक्षा और सशक्तिकरण के 100 गौरवशाली वर्षों को चिह्नित करने के लिए अपना शताब्दी वर्ष मनाते हुए, दिल्ली विश्वविद्यालय के दो संस्थान – अनुसंधान शिक्षा और प्रशिक्षण नवाचार केंद्र (सीआईआईडीआरईटी) तथा दिल्ली स्कूल ऑफ स्किल एन्हांसमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट (डीएसएसईईडी) ‘100 दिवसीय कौशल महोत्सव’ के समापन समारोह का जश्न मनाने के लिए एक साथ आए। इस महोत्सव के दौरान देश भर के 90 विभिन्न संस्थानों और पाठ्यक्रमों के 400 से अधिक प्रतिभागियों को प्रशिक्षित और उन्नत किया गया है।
प्रासंगिक क्षेत्रों में उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने और उत्पादकता में सुधार करने के लिए पर्याप्त कौशलों के साथ देश के युवाओं को सशक्त बनाने के स्किल इंडिया मिशन के उद्देश्य से जुड़ता हुआ यह उत्सव 17 दिसंबर 2022 को दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस में शुरू हुआ। इससे न केवल एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया गया है जो सीखने को प्रोत्साहित करता है, बल्कि छात्रों, प्रशिक्षकों, शिक्षाविदों, उद्योग और सुविधाकर्ताओं को एक साथ लाकर सहयोग और नेटवर्किंग के लिए एक मंच भी प्रदान करता है।
100 दिवसीय कौशल महोत्सव ने “बियॉन्ड क्लासरूम लर्निंग” की प्रभावशीलता को स्थापित किया है, जो स्थापना के समय से ही सीआईआईडीआरईटी का आदर्श वाक्य रहा है। इस कार्यक्रम में इन 100 दिनों में सूक्ष्म जीव विज्ञान में बुनियादी तकनीक, जीनोमिक्स में तकनीक, जीव विज्ञान के लिए पायथन और इसका व्यावहारिक दृष्टिकोण, एनजीएस और जीनोमिक डेटा साइंस और पेटेंट के माध्यम से बौद्धिक संपदा के रूप में नए ज्ञान का विश्लेषण और संरक्षण जैसे विषयों पर 13 प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित की गईं। छात्रों, शोधार्थियों, शिक्षकों और वैज्ञानिकों के कौशल विकास के लिए विभिन्न विषयों और सीखने के स्तर के आधार पर अनुकूलित पाठ्यक्रम बनाए गए। इसके अतिरिक्त, सैद्धांतिक बायोटेक अनुसंधान, प्रक्रिया और उत्पाद विकास में नियोजित उन्नत तकनीकों पर कार्यशालाएं/ फैकल्टी विकास कार्यक्रम (ऑनलाइन) आयोजित किए गए।
इस अवसर पर बोलते हुए एमएसडीई के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने कहा कि भारत के युवाओं के विकास और देश के समग्र विकास के लिए स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग के पहल महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने सीखने, सहयोग और नेटवर्किंग को बढ़ावा देने वाले पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में एक कदम उठाने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय, सीआईआईडीआरईटी और डीएसएसईईडी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से प्राप्त तरीकों और तकनीकों के संपर्क में आने से न केवल रोजगार में वृद्धि होगी बल्कि नवाचार और उद्यमिता को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जैसा कि हम दिल्ली विश्वविद्यालय की शताब्दी मना रहे हैं, अपने युवाओं को व्यापक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए तैयार करते हुए हमें समग्र कौशल वातावरण के महत्वपूर्ण घटकों के रूप में अपस्किलिंग और रीस्किलिंग को जारी रखना चाहिए।
सीआईआईडीआरईटी की निदेशक प्रो. अमिता गुप्ता ने कहा कि बियांड क्लासरूम मोड में हैंड्स-ऑन कार्यशालाओं के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनने से शिक्षा में मानवीय मूल्यों की वृद्धि होगी, जिससे रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे और उन्हें नवाचार और उद्यमिता की ओर भी ले जाया जा सकेगा। स्किलिंग केवल रोजगार का माध्यम नहीं है, बल्कि स्किलिंग प्रौद्योगिकी के सृजन और आत्मनिर्भरता का प्रवेश द्वार भी है। उन्होंने कहा कि कौशल विकास के साथ नवाचार को बढ़ावा देने वाले स्किलिंग हब की स्थापना और प्रचार किया जाना चाहिए।
डीएसएसईईडी के निदेशक (होन.) प्रो. वी.के. चौधरी ने कहा कि 100 दिनों का कौशल महोत्सव एक उदाहरण है जिसे अन्य विषयों में भी लागू करने की आवश्यकता है ताकि कौशल सभी स्तरों पर शिक्षा पाठ्यक्रम का एक अंतर्निहित और अविभाज्य हिस्सा बन जाए।