23 जून को विपक्षी दलों की बैठक, बिहार में बनेगा राष्ट्रीय महागठबंधन, PM फेस ना सही नीतीश बनेंगे संयोजक

पटना।बिहार के सीएम नीतीीश कुमार के अथक प्रयास के बाद 23 जून को बीजेपी विरोधी दल एक साथ बैठने के लिए तैयार हुए हैं. पटना में शुक्रवार को 17 से 18 पार्टियां एक साथ केंद्र की सत्ता से नीतीश कुमार को बेदखल करने के लिए बैठेगी. इन सभी पार्टियों की राजनीतिक विचारधार अलग है. इनके एजेंडे अलग हैं. अपने-अपने क्षेत्र में राजनीति करने का इनका तरीका अलग है.

बैठक में शामिल होन वाले कई दल तो ऐसे हैं जो राज्यों में एक दूसरे के प्रतिद्वंदी हैं. इसके बाद भी ये सभी एक साथ बैठने के लिए तैयार हुए हैं तो यह नीतीश कुमार की लगातार कोशिश का ही नतीजा है.दरअसल पिछले साल अगस्त में जब नीतीश कुमार पाला बदलकर महागठबंधन के साथ हुए, उसके बाद से ही उन्होंने बीजेपी विरोधी दलों को एक मंच पर लाने की कवायद शुरू कर दी. नीतीश कुमार इसके लिए तीन बार दिल्ली गए, कोलकाता, लखनऊ मुंबई भी नापा

उन्होंने करीब 10 महीने तक एक-एक दल के नेताओं से मुलाकात की. कई दलों ने साथ आने से मना कर दिया तो कई दलों को बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस से भी परहेज था. नीतीश कुमार ऐसे कई दलों को (ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, अऱविंद केजरीवाल) को मनाने में कामयाब हुए तो कई दलों (केसीआर, जगन रेड्डी, नवीन पटनायक) को साथ नहीं ला सके. 10 महीने पहले विपक्षी एकता की कवायद में निकले नीतीश कुमार के कुनबे में अभी 17 पार्टियां जिसमें कांग्रेस, टीएमसी, सपा, आप, एनसीपी, शिवसेना (उद्धव गुट), पीडीपी, जेएमएम और वाम पार्टियां शामिल है.

ये सभी दल 23 जून को पटना में एक साथ एक टेबल पर साथ बैठकर चर्चा करते नजर आएंगे कि बीजेपी को कैसे रोका जाए.नीतीश कुमार के मैराथन प्रयास के बाद अगर पहले दौर का बैठक कामयाब रहता है तब इस महाजुटान को एक गठबंधन का रूप दिया जाएगा. फिर गठबंधन किस तरह बीजेपी के खिलाफ मोर्चा लेगी यह तय होने से पहले गठबंधन का नाम तय हो सकता है. साथ ही सभी को साथ रखने के लिए एक संयोजक भी विपक्षी पार्टियां चुन सकती है. बिहार की राजनीति को नजदीक से जानने समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं 23 जून को बीजेपी विरोधी दल एकसाथ एक टेबल पर होंगे यह सीएम नीतीश कुमार की कोशिशों का नतीजा है.

पहले दौर का बैठक अगर सफल रहता है तो एक गठबंधन तैयार होगा जिसे बीजेपी विरोधी मोर्चा या राष्ट्रीय महागठबंधन नाम दिया जा सकता है. NDA के विरोध में पहले UPA का गठन हुआ था जिसका नेतृत्व कांग्रेस पार्टी कर रही है. इस गठबंधन के नीचे सभी दल आए यह संभव नहीं है क्योंकि कई दलों को कांग्रेस के नेतृत्व करने तो कई को काग्रेस से ही दिक्कतें हैं. ऐसे में सभी की सलाह से एक नया नाम भी दिया जा सकता है. रही बात नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की तो वह अभी संयोजक की भूमिका में ही हैं.

उनके प्रयास से ही सभी दल साथ बैठने वाले हैं. बैठक में उन्हें औपचारिक तौर पर संयोजक बनाने की घोषणा हो सकती है.जबकि वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं पटना में अलग-अलग पार्टियों ने बैठक से पहले पोस्टर लगाए हैं. कई राजनीतिक दलों के पोस्टर से नीतीश गायब हैं, कुछ ने जगह दी भी है तो बस औपचारिकता पूरी की है. इससे लगता है कि बैठक का श्रेय नीतीश को देने में किसी का दिल बड़ा नहीं है. रही बात गठबंधन के नाम का,तो ये तय है कि NDA के खिलाफ बन रहा ये गठबंधन UPA नहीं होगा. क्योंकि UPA में यह तय था कि नेतृत्व कांग्रेस के हाथों में रहेगा, बिहार में जिस गठबंधन की कवायद हो रही है उसका चेहरा कौन होगा यह तय नहीं है.

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