केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नीति आयोग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मेथनॉल संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन किया

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज नई दिल्ली में नीति आयोग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मेथनॉल संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत, और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद भी उपस्थित थे। उद्घाटन समारोह के दौरान, श्री गडकरी ने प्रदर्शनी का दौरा किया, जहाँ मेथनॉल आधारित उत्पादों एवं मशीनरी का प्रदर्शन किया गया।

सेमिनार में नितिन गडकरी ने बढ़ते प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के आयात को दो प्रमुख चिंताओं के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने आत्मनिर्भरता के लिए इन आयातों को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, जो कि लगभग ₹22 लाख करोड़ के हैं। गडकरी ने ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने, कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और भारत के किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने में जैव ईंधन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मेथनॉल, इथेनॉल और बायो-सीएनजी जैसे वैकल्पिक ईंधन का उपयोग करके भारत की रसद लागत को कम किया जा सकता है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत जैव ईंधन क्षेत्र में, खासकर मेथनॉल के क्षेत्र में, उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि मेथनॉल को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग के प्रयास सफल हो रहे हैं, क्योंकि यह किफायती और प्रदूषण मुक्त भी है। उन्होंने उल्लेख किया कि कुछ राज्यों में निम्न गुणवत्ता वाले कोयले का भी मेथनॉल बनाने में उपयोग किया जा रहा है।

गडकरी ने कचरे को संपदा में बदलने की अवधारणा पर भी बात की, जिसमें सड़क निर्माण में पुराने टायर पाउडर और प्लास्टिक जैसी सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे बिटुमेन के आयात में कमी आई है। उन्होंने यह भी बताया कि फसल के कचरे का उपयोग किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर रहा है।

उन्होंने अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाली प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से चावल के भूसे से जैव-सीएनजी के उत्पादन के महत्व पर जोर दिया। इस दृष्टिकोण के तहत 475 परियोजनाओं में सकारात्मक परिणाम देखे गए हैं, जिनमें से 40 से अधिक पहले से ही पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में चल रही हैं। चावल के भूसे से जैव-सीएनजी का रूपांतरण अनुपात लगभग 5:1 टन है।
गडकरी ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम पराली का केवल एक पांचवां हिस्सा ही प्रोसेस कर पा रहे हैं, लेकिन बेहतर योजना के साथ इसे वैकल्पिक ईंधन के कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करके मौसमी वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। उन्होंने एक ऐसी नीति के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया जो बढ़ते प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के आयात के प्रमुख मुद्दों से निपटने में सहायक हो।

अंत में गडकरी ने मेथनॉल पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी और प्रदर्शनी आयोजित करने के लिए नीति आयोग की सराहना की।

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