पटना, जनता दल यूनाइटेड के एनडीए से बाहर जाने और नीतीश कुमार के विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद को जवाब देने के लिए बीजेपी भी पुराने मित्रों को साथ लाकर उन्हें नए तरीके से साधने की तैयारी में जुटी है. भाजपा सबसे पहले जदयू को छोड़कर, उन तमाम साथियों को साथ लाने के प्रयास में है, जो पिछले चुनावों में उनके साथ रहे. ऐसे में सीट बंटवारे को लेकर माना जा रहा है कि महागठबंधन में जितनी परेशानी होने वाली है, उतनी परेशानी भाजपा को नहीं होगी. भाजपा के लिए सामने खुला मैदान है, जिस पर वह किसी भी तरह की फील्डिंग सजा सकती है.
दावा किया जा रहा है कि जदयू से बाहर निकलकर नई पार्टी बना चुके उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन से बाहर आए जीतन राम मांझी भाजपा के साथ आ सकते हैं. मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी को लेकर भी संभावना है कि वह भाजपा के साथ आ सकती है. हालांकि, अभी इसकी पुष्टि कोई नहीं कर रहा है.
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति (रामविलास) पार्टी के भी भाजपा के साथ आने की संभावना जताई जा रही है. वैसे, बुधवार को दिल्ली में बिहार भाजपा के नेताओं की केंद्रीय नेताओं के साथ बैठक हुई है.
सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने इस बार 40 लोकसभा सीटों में से कम से कम 35 पर एनडीए की जीत दर्ज करने का लक्ष्य रखा है. भाजपा खुद 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है, जबकि सहयोगियों को 10 सीट देने की रणनीति पर चर्चा हुई है.
सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने तय किया है कि इस बार घटक दलों को उनकी मर्जी के मुताबिक मुंहमांगी सीटें नहीं दी जाएंगी. उनसे उम्मीदवारों की सूची पहले तलब की जाएगी. उसके बाद बिहार भाजपा के नेता उनके बारे में फीडबैक देंगे कि उनमें कौन सीट निकाल सकता है.
इधर, महागठबंधन की बात करें तो पिछले चुनाव में राजद को एक भी सीट नहीं मिली थी. लेकिन, अगले लोकसभा चुनाव में वह जदयू से कम सीट पर चुनाव लड़े, यह मुमकिन नहीं है. ऐसी स्थिति में दोनों दलों में असंतोष बढ़ेगा, जिससे भाजपा को लाभ होने का अनुमान है.