साइबर अपराधी लोगों की जीवनभर की कमाई को एक झटके में चुराने के लिए नए-नए पैंतरे आजमा रहे हैं। हाल ही में ‘डिजिटल अरेस्ट’ अभियान के तहत जागरूकता बढ़ाने के बावजूद ठगों ने धोखाधड़ी का एक नया तरीका खोज निकाला है, जिसके बारे में कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। इसमें इंटरनेशनल नंबर से एक कॉल आती है, जिसमें रिसीव करते ही एक ऑटोमैटिक वॉयस मैसेज शुरू हो जाता है।
ऑटो वॉयस मैसेज में कहा जाता है, “आपके लिए साइबर अपराध विभाग से एक महत्वपूर्ण सूचना है। आपके पर्सनल क्रेडेंशियल्स का लगातार डार्क वेब पर उपयोग किया जा रहा है। यदि आप दो घंटे के भीतर रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो हम आपके खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई करेंगे।”
कैसे होती है ठगी?
इस ऑटोमैटिक वॉयस मैसेज के बाद रिसीवर को अधिक जानकारी के लिए कीपैड पर 9 दबाने को कहा जाता है। जैसे ही रिसीवर 9 दबाता है, कॉल साइबर ठग से कनेक्ट हो जाती है। ठग साइबर अपराध विभाग का अधिकारी बनकर बैंक अकाउंट की जानकारी, आधार नंबर या अन्य निजी डेटा मांगता है। डार्क वेब और कानूनी कार्रवाई जैसे भारी शब्दों से लोग डर में आकर अपनी गोपनीय जानकारी ठगों को दे देते हैं।
कैसे बचें ठगी का शिकार होने से?
इस तरह की कॉल्स ज्यादातर अजीबो-गरीब इंटरनेशनल नंबरों से आती हैं। ठगी से बचने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि ऐसे नंबरों से आई कॉल को नजरअंदाज करें। यदि कॉल रिसीव कर ली है, तो कीपैड पर कोई भी नंबर न दबाएं। यह ध्यान रखें कि कोई भी बैंक या जांच एजेंसी फोन कर के गोपनीय जानकारी नहीं मांगती। ऐसे ठगों से सावधान रहें, इन नंबरों को तुरंत ब्लॉक करें और साइबर क्राइम में रिपोर्ट भी दर्ज कराएं।