डॉ. मनसुख मांडविया और सर्बानंद सोनोवाल ने व्यापक आयुष स्वास्थ्य व्यवस्था प्रणाली तथा शिक्षण अध्ययन प्रबंधन पद्धति का किया शुभारंभ

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आयुष मिशन बैठक में उद्घाटन भाषण दिया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया तथा केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेन्द्रभाई की गरिमामयी उपस्थिति में एएचएमआईएस (आयुष स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली) और ईएलएमएस (शिक्षा शिक्षण प्रबंधन प्रणाली) नामक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पहलों की शुरुआत की।

बैठक में शामिल होने वाले विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों में दया शंकर मिश्रा (उत्तर प्रदेश), डॉ. आर ललथंगलियाना (मिजोरम), आलो-लिबांग (अरुणाचल प्रदेश), केशव महंत (असम), एस पांगन्यू फोम (नगालैंड) और बन्ना गुप्ता (झारखंड) शामिल थे।

डॉ. मांडविया ने परंपरागत चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा दोनों में निहित क्षमताओं तथा संसाधनों के तालमेल से राष्ट्र में एकीकृत स्वास्थ्य सेवाओं की परिकल्पना करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत एक समेकित स्वास्थ्य नीति बनाने की दिशा में प्रयास करके अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से सशक्त कर रहा है, जिससे न केवल देश को बल्कि दुनिया को भी लाभ होगा।

डॉ. मांडविया ने कहा कि भारत आधुनिक व पारंपरिक चिकित्सा के बीच सहयोग करके एक ही मंच पर चिकित्सा की कई प्रणालियों को स्थापित करने की दिशा में प्रयास कर रहा है, जिससे क्रॉस-रेफ़रल की सुविधा मिल सकेगी और चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों के सही तरीके से एकीकृत करके अधिक बेहतर बनाया जा सकता है। डॉ. मांडविया ने केंद्र सरकार के अस्पतालों में आयुष प्रणालियों के समेकन की सराहना की और कहा कि वर्तमान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पूरी तरह से सशक्त बनाने के उद्देश्य से आयुष को मुख्यधारा की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एकीकरण मरीजों की देखभाल के लिए अधिक व्यापक एवं समग्र दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है, जिसमें पारंपरिक चिकित्सा व स्वास्थ्य देखभाल की आयुष प्रणाली दोनों की सम्मिलित शक्ति शामिल है।

डॉ. मांडविया ने आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सीय सिद्धांतों की भारतीय विरासत के महत्व व प्रासंगिकता को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा की विरासत सभी के स्वस्थ रहने पर ध्यान देने के साथ ही स्वास्थ्य के प्रति समग्र दृष्टिकोण की वकालत करती है और इसे अपनाने का मार्ग प्रशस्त करती है। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ‘हील बाय इंडिया’ और ‘हील इन इंडिया’ की पहल की सराहना की, जिसे दुनिया भर में सराहा गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर से उपचार के लिए भारत आने वाले रोगियों की संख्या बढ़ रही है जो बेहतर और सस्ता उपचार प्राप्त करने के लिए भारत की यात्रा कर रहे हैं। डॉ. मांडविया ने कहा कि आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा दोनों में प्रशिक्षित भारत से चिकित्सा पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने गुजरात के जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन – पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक केंद्र के विकास का हवाला भी दिया, जिससे भारत पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक अग्रणी के रूप में सशक्त हुआ है।

केंद्रीय आयुष मंत्री ने संपूर्णात्मक चिकित्सा को बढ़ावा देने में विस्तारित सहयोग के लिए डॉ. मांडविया को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से आयुष मंत्रालय की नई योजनाओं के माध्यम से एकीकृत स्वास्थ्य सेवा की बहुलवादी प्रणाली के भीतर आयुष की क्षमता को मुख्यधारा से जोड़ने की कल्पना की जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और जिला अस्पतालों (डीएच) में आयुष सुविधाओं के सह-स्थान के लिए राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा, उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में एकीकृत आयुष अस्पतालों और नये आयुष औषधालयों की स्थापना की जानकारी दी, जो आम जनता के लिए आयुष सेवाओं की आसान पहुंच एवं सामर्थ्य की सुविधा प्रदान करने के लिए पाइपलाइन में हैं।

इस कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने भी भाग लिया।

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