सरकार देश में कौशल विकास और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है: डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय

नई दिल्ली: भारी उद्योग मंत्रालय ने नई दिल्ली में परीक्षण एजेंसियों को मोटर वाहन क्षेत्र के प्रोत्साहन के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने की घोषणा की। इसके साथ ही योजना के अंतर्गत आवेदक अब उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी-एएटी उत्पादों (मूल उपकरण निर्माता-ओईएम और घटक दोनों) के परीक्षण और प्रमाणन के लिए अपने आवेदन जमा कर सकते हैं, जो उन्हें प्रोत्साहन से संबद्ध मोटर वाहन योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन के लिए योग्यता प्राप्त करने में मदद करेगा।

केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि इस कदम के साथ, भारी उद्योग मंत्रालय स्वयं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के साथ आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, और ये मानक संचालन प्रक्रिया न केवल इस परिकल्पना को प्राप्त करने में मदद करेंगे बल्कि इससे विनिर्माण क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मज़बूत करने में भी मदद करेंगे। डॉ. पाण्डेय ने कहा कि इसके साथ, मंत्रालय का लक्ष्य घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना है, जिससे भारतीयों के लिए अधिक रोजगार के अवसर पैदा हो सकें। उन्होंने कहा कि सरकार देश में कौशल विकास और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है और यह पहल उस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह देश के समग्र आर्थिक विकास में योगदान देगा। डॉ. पाण्डेय ने कहा कि इस योजना से महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित करने और भारत को मोटर वाहन विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने में मदद मिलने की आशा है।

भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने 23 सितंबर, 2021 को भारत में मोटर वाहन क्षेत्र और मोटर वाहन उपकरण उद्योग के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना (पीएलआई-ऑटो योजना या योजना) को 25,938 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ अधिसूचित किया। उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन -मोटर वाहन योजना उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी (एएटी) उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने और मोटर वाहन विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन का प्रस्ताव करती है। इस योजना के दो भाग हैं: चैंपियन मूल उपकरण निर्माता, जो बिजली या हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन बनाएंगे, और कंपोनेंट चैंपियंस, जो उच्च-मूल्य और उच्च-तकनीकी घटक बनाएंगे।

उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के उद्देश्य:
मोटर वाहन और मोटर वाहन उपकरण के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का मुख्य उद्देश्य उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और मोटर वाहन विनिर्माण मूल्य श्रंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना है।

इसके मुख्य उद्देश्यों में लागत संबंधी अक्षमताओं पर नियंत्रण प्राप्त करना, बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करना और उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी उत्पादों के क्षेत्रों में एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना शामिल है।

इस योजना का उद्देश्य देश में रोजगार के अवसर पैदा करना भी है।

इसका उद्देश्य मोटर वाहन उद्योग की मूल्य श्रृंखला को उच्च-मूल्य-वर्धित उत्पादों में स्थानांतरित करने की सुविधा प्रदान करना है।

भारी उद्योग मंत्रालय ने 9 नवंबर, 2021 को 19 उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी वाहनों और 103 उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी घटकों की श्रेणियों को अधिसूचित किया, जिन्हें इस योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा। ये घटक या तो उन्नत या नवीनतम-प्रौद्योगिकी मोटर वाहन घटक हैं, जिनके लिए आपूर्ति श्रृंखला भारत में मौजूद नहीं है, या दोनों के लिए है। इस प्रकार, इस योजना के साथ, भारत वैश्विक उन्नत प्रौद्योगिकी और मोटर वाहन आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में सक्षम होगा।

घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए):
योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, आवेदकों को योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन का दावा करने के लिए 50 प्रतिशत का घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए) प्राप्त करना होगा। मोटर वाहन कंपनियों और घटक निर्माताओं को अपनी आपूर्ति श्रृंखला में घरेलू मूल्यवर्धन की गणना और प्रस्तुत करने और परीक्षण एजेंसियों को इन विवरणों को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। यह मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा देने और उन्नत मोटर वाहन उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।

मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाने के लिए समिति:
घरेलू मूल्यवर्धन (डीएवी) की गणना के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया बनाने के लिए पुणे के भारतीय मोटर वाहन अनुसंधान संघ के निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, जिसमें सभी परीक्षण एजेंसियां, ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, मानेसर, राष्ट्रीय मोटर वाहन जांच मार्ग (एनएटीआरएएक्स), पुणे, वैश्विक मोटर वाहन अनुसंधान केंद्र (जीएआरसी) चेन्नई और वित्त सेवा निगम (आईएफ़सीआई) (उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन मोटर वाहन योजना के लिए प्रीमार्केट स्वीकृति (पीएमए) को जोड़ना शामिल हैं। इसके अनुसार, विभिन्न हितधारकों के बीच ज्ञान और विचारों के इस आदान-प्रदान के साथ, समिति ने हितधारकों से प्राप्त सभी सुझावों पर विचार-विमर्श करने के बाद मानक संचालन प्रक्रिया का मसौदा तैयार किया। उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के लिए सभी 85 आवेदकों के साथ परामर्श किया गया। इनमें 18 मूल उपकरण निर्माता और 67 ऑटो घटक विनिर्माण कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों की सूची संलग्न है।

परामर्श की प्रक्रिया:
हितधारकों के परामर्श और निरंतर चर्चा के माध्यम से, उद्योग ने विभिन्न अभ्यावेदन और सुझाव साझा किए। इसके अलावा, मानक संचालन प्रक्रिया के मसौदे को आवेदक कंपनियों सहित हितधारकों के साथ उनके सुझाव और प्रतिकृया के लिए समय-समय पर साझा किया गया था। इसके अलावा, समिति ने चुनिंदा आधार पर कुछ ओईएम और घटक आवेदकों के साथ एक परीक्षण डीवीए गणना अभ्यास भी किया।

अन्य मंत्रालयों और विभागों द्वारा प्राप्त अनुभव को लागू करके उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजनाओं को लागू करने से क्रॉस-सेक्टरल सीख को अपनाया गया है। इनमें फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी), नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), व्यय विभाग, फार्मास्यूटिकल्स विभाग, स्वास्थ्य मंत्रालय इस्पात और अन्य संबंधित मंत्रालय शामिल हैं।

विस्तृत हितधारक परामर्श के 3 दौर के बाद, समिति मानक संचालन प्रक्रिया का एक मसौदा लेकर आई है जिसमें एक डेस्क मूल्यांकन और आवेदकों और उनके आपूर्तिकर्ताओं की विनिर्माण सुविधाओं का क्षेत्र दौरा, आवेदकों का एक तकनीकी-वाणिज्यिक ऑडिट और एक आवधिक निगरानी मूल्यांकन शामिल है, जो सभी हितधारकों को अधिक स्तर का आश्वासन प्रदान करेगा। मानक संचालन प्रक्रिया इसके लिए प्रक्रियाओं को पर्याप्त विस्तार से निर्दिष्ट करता है।

मानक संचालन प्रक्रिया अब परीक्षण एजेंसियों द्वारा जारी की गई है, और यह उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के तहत आवेदकों को उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी उत्पादों (मूल उपकरण विनिर्माता और घटकों दोनों) के अनुमोदन के लिए आवेदन करने की अनुमति देगा।

व्यापार करने में सुगमता:
भारत सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी व्यवसाय करने में सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के तहत आवेदन दाखिल करने के लिए आवश्यक न्यूनतम कागजी कार्रवाई के साथ सरल प्रक्रियाओं को विकसित करने पर ध्यान दिया है।

किसी मूल उपकरण विनिर्माता को प्रत्यक्ष आपूर्तिकर्ता को “टियर 1 आपूर्तिकर्ता” कहा जाता है। टीयर 1 आपूर्तिकर्ता को टीयर 2 आपूर्तिकर्ता और इससे आगे के रूप में जाना जाता है। टीयर 3 स्तर तक के आयात के संबंध में सूचना को आवेदकों द्वारा केवल टियर 1 स्तर तक प्रमाणित किया जाना चाहिए। हालांकि, आवेदन दाखिल करने के समय टियर 3 तक कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। आवेदकों द्वारा प्रस्तुत घोषणाएं योजना के तहत अधिकांश आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त होंगी।

यह आवेदकों पर अनुपालन बोझ को कम करेगा और तेजी से आवेदन और योजना के तहत प्रोत्साहन के वितरण को बढ़ावा देगा।

नई दिल्ली: भारी उद्योग मंत्रालय ने नई दिल्ली में परीक्षण एजेंसियों को मोटर वाहन क्षेत्र के प्रोत्साहन के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने की घोषणा की। इसके साथ ही योजना के अंतर्गत आवेदक अब उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी-एएटी उत्पादों (मूल उपकरण निर्माता-ओईएम और घटक दोनों) के परीक्षण और प्रमाणन के लिए अपने आवेदन जमा कर सकते हैं, जो उन्हें प्रोत्साहन से संबद्ध मोटर वाहन योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन के लिए योग्यता प्राप्त करने में मदद करेगा।

केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि इस कदम के साथ, भारी उद्योग मंत्रालय स्वयं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के साथ आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, और ये मानक संचालन प्रक्रिया न केवल इस परिकल्पना को प्राप्त करने में मदद करेंगे बल्कि इससे विनिर्माण क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मज़बूत करने में भी मदद करेंगे। डॉ. पाण्डेय ने कहा कि इसके साथ, मंत्रालय का लक्ष्य घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना है, जिससे भारतीयों के लिए अधिक रोजगार के अवसर पैदा हो सकें। उन्होंने कहा कि सरकार देश में कौशल विकास और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है और यह पहल उस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह देश के समग्र आर्थिक विकास में योगदान देगा। डॉ. पाण्डेय ने कहा कि इस योजना से महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित करने और भारत को मोटर वाहन विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने में मदद मिलने की आशा है।

भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने 23 सितंबर, 2021 को भारत में मोटर वाहन क्षेत्र और मोटर वाहन उपकरण उद्योग के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना (पीएलआई-ऑटो योजना या योजना) को 25,938 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ अधिसूचित किया। उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन -मोटर वाहन योजना उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी (एएटी) उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने और मोटर वाहन विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन का प्रस्ताव करती है। इस योजना के दो भाग हैं: चैंपियन मूल उपकरण निर्माता, जो बिजली या हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन बनाएंगे, और कंपोनेंट चैंपियंस, जो उच्च-मूल्य और उच्च-तकनीकी घटक बनाएंगे।

उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के उद्देश्य:
मोटर वाहन और मोटर वाहन उपकरण के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का मुख्य उद्देश्य उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और मोटर वाहन विनिर्माण मूल्य श्रंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना है।

इसके मुख्य उद्देश्यों में लागत संबंधी अक्षमताओं पर नियंत्रण प्राप्त करना, बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करना और उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी उत्पादों के क्षेत्रों में एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना शामिल है।

इस योजना का उद्देश्य देश में रोजगार के अवसर पैदा करना भी है।

इसका उद्देश्य मोटर वाहन उद्योग की मूल्य श्रृंखला को उच्च-मूल्य-वर्धित उत्पादों में स्थानांतरित करने की सुविधा प्रदान करना है।

भारी उद्योग मंत्रालय ने 9 नवंबर, 2021 को 19 उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी वाहनों और 103 उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी घटकों की श्रेणियों को अधिसूचित किया, जिन्हें इस योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा। ये घटक या तो उन्नत या नवीनतम-प्रौद्योगिकी मोटर वाहन घटक हैं, जिनके लिए आपूर्ति श्रृंखला भारत में मौजूद नहीं है, या दोनों के लिए है। इस प्रकार, इस योजना के साथ, भारत वैश्विक उन्नत प्रौद्योगिकी और मोटर वाहन आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में सक्षम होगा।

घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए):
योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, आवेदकों को योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन का दावा करने के लिए 50 प्रतिशत का घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए) प्राप्त करना होगा। मोटर वाहन कंपनियों और घटक निर्माताओं को अपनी आपूर्ति श्रृंखला में घरेलू मूल्यवर्धन की गणना और प्रस्तुत करने और परीक्षण एजेंसियों को इन विवरणों को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। यह मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा देने और उन्नत मोटर वाहन उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।

मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाने के लिए समिति:
घरेलू मूल्यवर्धन (डीएवी) की गणना के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया बनाने के लिए पुणे के भारतीय मोटर वाहन अनुसंधान संघ के निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, जिसमें सभी परीक्षण एजेंसियां, ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, मानेसर, राष्ट्रीय मोटर वाहन जांच मार्ग (एनएटीआरएएक्स), पुणे, वैश्विक मोटर वाहन अनुसंधान केंद्र (जीएआरसी) चेन्नई और वित्त सेवा निगम (आईएफ़सीआई) (उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन मोटर वाहन योजना के लिए प्रीमार्केट स्वीकृति (पीएमए) को जोड़ना शामिल हैं। इसके अनुसार, विभिन्न हितधारकों के बीच ज्ञान और विचारों के इस आदान-प्रदान के साथ, समिति ने हितधारकों से प्राप्त सभी सुझावों पर विचार-विमर्श करने के बाद मानक संचालन प्रक्रिया का मसौदा तैयार किया। उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के लिए सभी 85 आवेदकों के साथ परामर्श किया गया। इनमें 18 मूल उपकरण निर्माता और 67 ऑटो घटक विनिर्माण कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों की सूची संलग्न है।

परामर्श की प्रक्रिया:
हितधारकों के परामर्श और निरंतर चर्चा के माध्यम से, उद्योग ने विभिन्न अभ्यावेदन और सुझाव साझा किए। इसके अलावा, मानक संचालन प्रक्रिया के मसौदे को आवेदक कंपनियों सहित हितधारकों के साथ उनके सुझाव और प्रतिकृया के लिए समय-समय पर साझा किया गया था। इसके अलावा, समिति ने चुनिंदा आधार पर कुछ ओईएम और घटक आवेदकों के साथ एक परीक्षण डीवीए गणना अभ्यास भी किया।

अन्य मंत्रालयों और विभागों द्वारा प्राप्त अनुभव को लागू करके उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजनाओं को लागू करने से क्रॉस-सेक्टरल सीख को अपनाया गया है। इनमें फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी), नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), व्यय विभाग, फार्मास्यूटिकल्स विभाग, स्वास्थ्य मंत्रालय इस्पात और अन्य संबंधित मंत्रालय शामिल हैं।

विस्तृत हितधारक परामर्श के 3 दौर के बाद, समिति मानक संचालन प्रक्रिया का एक मसौदा लेकर आई है जिसमें एक डेस्क मूल्यांकन और आवेदकों और उनके आपूर्तिकर्ताओं की विनिर्माण सुविधाओं का क्षेत्र दौरा, आवेदकों का एक तकनीकी-वाणिज्यिक ऑडिट और एक आवधिक निगरानी मूल्यांकन शामिल है, जो सभी हितधारकों को अधिक स्तर का आश्वासन प्रदान करेगा। मानक संचालन प्रक्रिया इसके लिए प्रक्रियाओं को पर्याप्त विस्तार से निर्दिष्ट करता है।

मानक संचालन प्रक्रिया अब परीक्षण एजेंसियों द्वारा जारी की गई है, और यह उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के तहत आवेदकों को उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी उत्पादों (मूल उपकरण विनिर्माता और घटकों दोनों) के अनुमोदन के लिए आवेदन करने की अनुमति देगा।

व्यापार करने में सुगमता:
भारत सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी व्यवसाय करने में सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के तहत आवेदन दाखिल करने के लिए आवश्यक न्यूनतम कागजी कार्रवाई के साथ सरल प्रक्रियाओं को विकसित करने पर ध्यान दिया है।

किसी मूल उपकरण विनिर्माता को प्रत्यक्ष आपूर्तिकर्ता को “टियर 1 आपूर्तिकर्ता” कहा जाता है। टीयर 1 आपूर्तिकर्ता को टीयर 2 आपूर्तिकर्ता और इससे आगे के रूप में जाना जाता है। टीयर 3 स्तर तक के आयात के संबंध में सूचना को आवेदकों द्वारा केवल टियर 1 स्तर तक प्रमाणित किया जाना चाहिए। हालांकि, आवेदन दाखिल करने के समय टियर 3 तक कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। आवेदकों द्वारा प्रस्तुत घोषणाएं योजना के तहत अधिकांश आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त होंगी।

यह आवेदकों पर अनुपालन बोझ को कम करेगा और तेजी से आवेदन और योजना के तहत प्रोत्साहन के वितरण को बढ़ावा देगा।

कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति:
मानक संचालन प्रक्रिया में शामिल सभी प्रावधानों के अनुपालन को रोकने वाली अप्रत्याशित परिस्थितियों के मामले में, परीक्षण एजेंसियों को मानक संचालन प्रक्रिया के प्रावधानों को आसान बनाने की शक्ति दी गई है। यह मोटर वाहन उद्योग की जटिल आपूर्ति श्रृंखला में उत्पन्न होने वाले मुद्दों के समाधान के लिए एक आसान दृष्टिकोण सक्षम करेगा।

मानक संचालन प्रक्रिया में शामिल सभी प्रावधानों के अनुपालन को रोकने वाली अप्रत्याशित परिस्थितियों के मामले में, परीक्षण एजेंसियों को मानक संचालन प्रक्रिया के प्रावधानों को आसान बनाने की शक्ति दी गई है। यह मोटर वाहन उद्योग की जटिल आपूर्ति श्रृंखला में उत्पन्न होने वाले मुद्दों के समाधान के लिए एक आसान दृष्टिकोण सक्षम करेगा।

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