सनातन धर्म में एकादशी व्रत का महत्व: इंदिरा एकादशी पर विशेष

सनातन धर्म में एकादशी व्रत को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु को समर्पित व्रत रखा जाता है। आज, 28 सितंबर 2024, शनिवार के दिन, इंदिरा एकादशी व्रत का पालन किया जा रहा है, जिसे विशेष रूप से पितृपक्ष में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि पर होती है, उन्हें स्वर्ग लोक में भोजन नहीं मिलता।

आत्मा को एकादशी के दिन क्यों रहना पड़ता है भूखा?
गरुड़ पुराण के अनुसार, एकादशी के दिन मृत्यु प्राप्त करने वाले की आत्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर सीधे स्वर्ग लोक जाती है। लेकिन स्वर्ग लोक में इस दिन सभी व्रत रखते हैं, इसलिए इस दिन भोजन की व्यवस्था बंद रहती है। यही कारण है कि एकादशी पर मृत्यु प्राप्त करने वाली आत्मा को स्वर्ग में भूखा रहना पड़ता है।

पितृपक्ष में इंदिरा एकादशी व्रत का विशेष महत्व

पितृपक्ष में इंदिरा एकादशी का व्रत और तर्पण कर्म करने से सात पीढ़ियों के पितरों की आत्मा को तृप्ति और शांति प्राप्त होती है। इससे परिवार को पितरों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। इसके साथ ही इस दिन दान-पुण्य और पवित्र स्नान करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति या भगवान विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त होता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है।

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