नई दिल्ली.सावन शुरू होते ही आज से कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है। कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तगण पूरी श्रद्धाभाव के साथ पवित्र नदी का जल कलश (कांवड़) में भरकर लंबी यात्रा करके सावन शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्रा 14 जुलाई 2022 से शुरू हो रही है जो 26 जुलाई को सावन शिवरात्रि के साथ समाप्त होगी। कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त गंगा नदी से पवित्र जल कांवड़ में भरकर लाते हैं और लंबी दूरी तय करके सावन शिवरात्रि के दिन भोले बाबा का जलाभिषेक करेंगे। माना जाता है कि जलाभिषेक करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और मनचाही मुराद पूरी करते हैं। आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा से जुड़ें किन नियमों का पालन करना है बेहद जरूरी।
कांवड़ यात्रा के नियम
- कांवड़ यात्रा को काफी पवित्र यात्रा मानी जाती है। ऐसे में इस यात्रा में सम्मिलित होने वाले व्यक्ति को पवित्रता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। बिना नहाए कांवड़ को नहीं छूना चाहिए।
- कावड़ यात्रा के दौरान अगर आप किसी जगह विश्राम करना चाहते हैं, तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि जल से भरे हुए कांवड़ को जमीन में बिल्कुल न रखें बल्कि किसी ऊंचे स्थान में रखें।
- कांवड़ यात्रा के दौना मांस- मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए। जितना हो सके सात्विक भोजन करना चाहिए।
- कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए। बल्कि भक्ति भाव के साथ यात्रा करनी चाहिए।