छपरा: दशहरा का त्योहार भारत में हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें पूजा पंडालों की भव्यता और रौनक का विशेष स्थान होता है। छपरा के फुटानी बाजार में हर साल दशहरे पर भव्य पंडाल बनाए जाते हैं, जो न केवल सुंदर होते हैं बल्कि चर्चित भी रहते हैं। इस साल गम्हरिया कला का पंडाल खास चर्चा में है, जिसकी थीम ‘जुरासिक पार्क’ है।
जुरासिक पार्क थीम की खासियत
इस बार गम्हरिया कला के पंडाल को ‘जुरासिक पार्क’ का रूप दिया गया है, जो दर्शकों के लिए एक अनोखा अनुभव लेकर आया है। इस पंडाल को बनाने में चार महीने का समय और लगभग 50 लाख रुपये का खर्च आया। इसमें 9 प्रकार के डायनासोर के मॉडल्स बनाए गए हैं, जो करोड़ों साल पहले धरती से विलुप्त हो चुके थे। खासकर बच्चों के लिए यह पंडाल विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, जो इतिहास और विज्ञान के प्रति उनकी रुचि बढ़ाने का प्रयास है।
इतिहास और शिक्षा का अनूठा मेल
पंडाल के निर्माणकर्ता, ओमप्रकाश, जो इस कला में वर्षों से माहिर हैं, बताते हैं कि पंडाल का निर्माण तीन महीने पहले शुरू हो जाता है। उन्होंने इस साल ‘जुरासिक पार्क’ थीम को इसलिए चुना ताकि आज की युवा पीढ़ी को प्रकृति और इतिहास के बारे में जानने का मौका मिले। यह थीम न केवल बच्चों को मनोरंजन प्रदान करती है, बल्कि उन्हें इतिहास और पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करती है।
लाखों दर्शकों की उम्मीद
शारदीय नवरात्र के दौरान सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिनों में लाखों लोग इस भव्य पंडाल को देखने आते हैं। यह पंडाल समाज को एकजुट करने और सांस्कृतिक धरोहरों को जीवित रखने का माध्यम भी है। ‘जुरासिक पार्क’ की थीम न केवल दर्शकों को रोमांचित करती है, बल्कि पर्यावरण और इतिहास के प्रति जागरूकता भी फैलाती है।