राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आयुर्वेद संस्थान के 7वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (9 अक्टूबर, 2024) को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के 7वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने आयुर्वेद को दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक बताते हुए इसे भारत का अमूल्य उपहार करार दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखते हुए संपूर्ण स्वास्थ्य प्रबंधन पर जोर देता है। उन्होंने यह भी बताया कि हम हमेशा से अपने आस-पास के पेड़-पौधों के औषधीय महत्व को जानते हुए उनका उपयोग करते रहे हैं, विशेषकर आदिवासी समाज में जहां जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों के ज्ञान की परंपरा समृद्ध रही है।

आधुनिकता के प्रभाव और जागरूकता का बढ़ना
राष्ट्रपति ने बताया कि जैसे-जैसे समाज ने आधुनिकता को अपनाया, हम प्रकृति से दूर होते गए और पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करना बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि अब लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और एकीकृत चिकित्सा प्रणाली का विचार आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहा है। विभिन्न चिकित्सा प्रणालियां एक-दूसरे की पूरक प्रणाली के रूप में कार्य कर रही हैं।

आयुर्वेद की छवि और डॉक्टरों की जरूरत
राष्ट्रपति ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कुछ लोग आयुर्वेद की आस्था का फायदा उठाकर भोले-भाले लोगों को ठगते हैं और भ्रामक जानकारी फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिक योग्य डॉक्टरों की आवश्यकता है ताकि लोग अशिक्षित डॉक्टरों के पास न जाएं। उन्होंने आयुर्वेद से जुड़े कॉलेजों और छात्रों की संख्या में हुई उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की।

आयुर्वेद का विकास और सहयोग की भावना
राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद का विकास न केवल मनुष्यों के लिए बल्कि पशुओं और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होगा। उन्होंने विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता पर जोर दिया, लेकिन आपस में आलोचना को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि सभी का उद्देश्य रोगियों को स्वस्थ करना और मानवता का भला करना होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने आयुर्वेद की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान और औषधियों की गुणवत्ता में निरंतर सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने पारंपरिक शिक्षा को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर आयुर्वेदिक चिकित्सा, शिक्षा, अनुसंधान और समग्र स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।

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