नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद करने की सिफारिश की है। आयोग ने मदरसा बोर्डों को बंद करने का भी सुझाव दिया है। आयोग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर यह सुझाव दिया है। NCPCR का कहना है कि मदरसे मुस्लिम बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने में विफल रहे हैं, इसलिए यह कदम उठाने की जरूरत है।
बच्चों के संवैधानिक अधिकारों पर जोर
आयोग ने अपनी रिपोर्ट आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसा में बताया कि मदरसे बच्चों को संविधान द्वारा दिए गए शिक्षा के मौलिक अधिकार का लाभ नहीं दिला पा रहे हैं। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि मदरसे न तो बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक हैं और न ही उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर पा रहे हैं।
आरटीई अधिनियम के तहत शिक्षा की सिफारिश
NCPCR ने कहा कि सभी बच्चों को मौलिक शिक्षा का अधिकार है और धार्मिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा की कीमत पर नहीं दी जा सकती। आयोग ने सिफारिश की है कि मदरसों में पढ़ रहे गैर-मुस्लिम बच्चों को अन्य स्कूलों में दाखिला दिलाया जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में लगभग 14,819 गैर-मुस्लिम बच्चे मदरसों में पढ़ रहे हैं, जिसमें सबसे अधिक संख्या मध्य प्रदेश (9446) और राजस्थान (3103) की है।
रिपोर्ट का उद्देश्य
आयोग ने यह रिपोर्ट इस उद्देश्य से तैयार की है कि बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में शिक्षा मिले, जिससे वे देश की निर्माण प्रक्रिया में सार्थक योगदान दे सकें।