नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार से शुरू हो गई है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को बनाए रखते हुए महंगाई पर काबू पाना है। मौजूदा वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, RBI के नीतिगत फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
रेपो रेट में बदलाव की संभावना नहीं
पिछली नौ बैठकों से रेपो दर 6.5% पर स्थिर बनी हुई है। बाजार विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बार भी RBI रेपो रेट को यथावत रख सकता है। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार, महंगाई दर में वृद्धि और आर्थिक विकास के स्थिर प्रदर्शन को देखते हुए, रेपो रेट में किसी कटौती की संभावना नहीं है।
महंगाई दर बनी चुनौती
अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 6.21% पर पहुंच गया, जो कि RBI के अनुमानित 4.8% से काफी अधिक है। महंगाई का यह स्तर केंद्रीय बैंक के लिए चिंता का विषय है। हालांकि, देश की अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही में 5.4% की वृद्धि दर्ज की है, जो विकास के मोर्चे पर एक सकारात्मक संकेत है।
नीतिगत रुख: ‘न्यूट्रल’ या बदलाव?
पिछली बैठक में RBI ने अपने नीतिगत रुख को ‘न्यूट्रल’ कर दिया था, जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास और महंगाई के बीच संतुलन स्थापित करना था। इस बार भी ‘न्यूट्रल’ रुख बनाए रखने की संभावना है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत बनी हुई है।
आर्थिक प्रगति के साथ महंगाई पर नियंत्रण प्राथमिकता
बजाज ब्रोकिंग रिसर्च के अनुसार, RBI का मुख्य लक्ष्य आर्थिक प्रगति से समझौता किए बिना महंगाई पर नियंत्रण करना है। नीतिगत संतुलन बनाना केंद्रीय बैंक के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि एक तरफ आर्थिक वृद्धि को बनाए रखना जरूरी है, तो दूसरी तरफ महंगाई का बढ़ता दबाव भी चुनौतीपूर्ण है।
बैठक के नतीजों पर बाजार की नजर
RBI की यह बैठक वित्त वर्ष 2025 की पांचवीं MPC बैठक है। इस बार के नीतिगत फैसले पर बाजार और विश्लेषकों की पैनी नजर है। यह बैठक देश की विकास और महंगाई की जटिल स्थिति को समझने और समाधान पेश करने के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करेगी।
फरवरी 2023 के बाद कोई बदलाव नहीं
फरवरी 2023 में RBI ने आखिरी बार रेपो रेट में बदलाव करते हुए इसे 0.25% बढ़ाया था। तब से रेपो रेट स्थिर है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार RBI क्या रणनीति अपनाता है।
गौरतलब है कि यह बैठक न केवल महंगाई और आर्थिक विकास के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में मार्गदर्शन करेगी, बल्कि यह भी संकेत देगी कि RBI भविष्य की नीतियों को किस दिशा में लेकर जाएगा।