शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ एक महीने तक चलने वाले राष्ट्रीय अभियान, ‘नई चेतना-पहल बदलाव की’ के तीसरे संस्करण का किया शुभारंभ

Shivraj Singh Chouhan launched the third edition of 'Nayi Chetna-Pahal Badlaav Ki', a month-long national campaign against gender-based violence in New Delhi

नई दिल्ली: केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ एक महीने तक चलने वाले राष्ट्रीय अभियान, ‘नई चेतना-पहल बदलाव की’ के तीसरे संस्करण का शुभारंभ किया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान और डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी व सचिव शैलेष कुमार भी कार्यक्रम में शामिल हुए। ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) द्वारा आयोजित यह अभियान 23 दिसंबर 2024 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलेगा। डीएवाई-एनआरएलएम के देशभर में फैले स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) नेटवर्क के नेतृत्व में यह पहल जन आंदोलन की भावना का प्रतीक है। नई चेतना अभियान का उद्देश्य जमीनी स्तर की पहल के माध्यम से लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना और लक्षित कार्रवाई को बढ़ावा देना है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान व केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और राज्य मंत्रियों के साथ नई चेतना- 3 ज्वाइंट एडवाइज़री का भी विमोचन किया। कार्यक्रम में 13 राज्यों में 227 नये जेंडर रिसॉर्स सेंटरों का शुभारंभ भी किया।

शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते मैंने कई महिलाओं के विकास के लिए कई योजनाओं को शुरू किया था। उन योजनाओं से बहनों की जिऩ्दगी में सबसे बडा़ बदलाव आया कि उनका घर में भी मान सम्मान बढ़ा। महिला को पूरी तरह से सशक्त करना है तो महिला का सशक्तिकरण, सामाजिक सशक्तिरण राजनीतिक सशक्तिकरण और शैक्षिक सशक्तिरण करना ही होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण का काम एक अभियान के रूप में चल रहा है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी का हदृय से अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि नई चेतना जैसे कार्यक्रमों को समाज में ले जाना होगा क्योंकि हिंसा तो आज भी होती है और ये केवल गांव में ही नहीं हैं निर्भया जैसी घटनायें शहर में होती हैं। आज भी कितनी बेटियों को निर्भया बनना पड़ता है। रूबिका पहाड़ी और अंकिता सेन जैसी बेटियां टुकड़े-टुकड़े कर फेंक दी जाती हैं। मुख्यमंत्री रहते देखा कि 90 प्रतिशत दुष्कर्म के मामले परिचितों द्वारा किये जाते हैं। समाज में व्यापक जनजागरण करना पड़ेगा। एक महीना नई चेतना नहीं बल्कि हर दिन चेतना होनी चाहिए। महिला स्वयं सहायता समूहों ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई क्रांति की है। महिलायें सही में एक साथ आई हैं एक ताकत बनी हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से हर गांव में इस अभियान को ले जाना पड़ेगा। इस अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए हम इसकी एक बार समीक्षा करेंगे कि हर गांव व शहर में किस तरह से इसे पहुंचायें। मुझे शहरों में इसकी आवश्यकता ज्यादा महसूस होती है।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत में नारियों को सम्मान देने की परंपरा दम तोड़ती नज़र आ रही है। एक बार फिर नई चेतना की ज़रूरत है। अब नहीं सहेंगे आगे हमें बढ़ना पड़ेगा, अब कोई बहाना नहीं चलेगा जैसी चीजों को साथ जोड़ कर हम तेज़ी से आगे बढ़ेंगे और फिर से वे दिन लेकर आयेंगे जब किसी भी बहन और बेटी के साथ हिंसा न हो। दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी की सजा होनी चाहिए ताकि ऐसी घटनायें न हों। फांसी की सजा होते ही मानवाधिकार की बात होने लगती है। मानवाधिकार मनुष्यों के लिए होते हैं दरिंदों और राक्षसों के लिए नहीं। जो महिलायें आगे बढ़ रही हैं वो और महिला विकास विभाग, स्वयं सहायता समूह और हम सभी को मिल कर काम करना होगा क्योंकि एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे। नई चेतना और नये उत्साह के साथ हिंसा को समाप्त करने तक चलाते रहेंगे।

कमलेश पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की आधी आबादी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय बहुत सारे कार्य कर रहा है। आवास योजना के अर्न्तगत 75 प्रतिशत आवास महिलाओं को देने का कार्य किया गया। महिलाओं की समानता को लेकर हिंदुस्तान में बहुत तेजी से बदलाव आ रहा है।

डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा कि हमारे देश की प्रगति हर महिला की गरिमा, सुरक्षा और स्वतंत्रता पर निर्भर करती है, खासकर हमारे ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं की। लिंग आधारित हिंसा एक वैश्विक मुद्दा है जिसकी कोई सीमा नहीं है, यह शारीरिक और भावनात्मक शोषण से लेकर ऑनलाइन उत्पीड़न और साइबर बदमाशी तक कई रूप ले सकता है। डर, सामाजिक कलंक, जागरूकता की कमी और अपर्याप्त सहायता प्रणालियों के कारण लिंग आधारित हिंसा के कई मामले अनदेखे रह जाते हैं इसलिए महिलाओं को सशक्त बनाना सिर्फ़ एक नीति नहीं है, यह हमारा नैतिक कर्तव्य और सामाजिक आवश्यकता है।

शैलेष कुमार ने कहा कि यह आन्दोलन आप सभी के संकल्प और समर्पण के बिना संभव नहीं होगा। आपकी भागीदारी और समर्थन से ही एक सशक्त आन्दोलन बन सकता है। लिंग आधारित हिंसा और असमानताओं की वर्तमान स्थिति से अवगत हैं। वास्तव में महिलाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और उनकी राजनीतिक भागीदारी में प्रगति हुई है अभी भी महिलायें भेदभाव, सामाजिक मान्यताओं, उच्च स्तर की हिंसा और असमान घरेलू काम के बोझ जैसी चुनौतिओं का सामना कर रही हैं। ग्रामीण भारत में 49 प्रतिशत महिलाओं का अपनी आय पर कोई नियन्त्रण नहीं जबकि 32 प्रतिशत की मान्यता है कि उनके अवसर लिंग असमानता के कारण सीमित हैं।

यह अभियान “संपूर्ण सरकार” दृष्टिकोण की भावना में एक सहयोगात्मक प्रयास है और इसमें 9 मंत्रालय/विभाग भाग ले रहे हैं। जो इस प्रकार हैं- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, गृह मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, युवा मामले और खेल मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और न्याय विभाग।

नई चेतना 3.0 के उद्देश्यों में लिंग आधारित हिंसा के सभी रूपों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, हिंसा के खिलाफ समुदायों को आवाज उठाने और कार्रवाई की मांग करने के लिए प्रोत्साहित करना, समय पर सहायता के लिए समर्थन प्रणालियों तक पहुँच प्रदान करना और स्थानीय संस्थाओं को निर्णायक रूप से कार्य करने के लिए सशक्त बनाना शामिल है। अभियान का नारा, “एक साथ, एक आवाज़, हिंसा के खिलाफ़,” अभिसरण प्रयासों के माध्यम से सामूहिक कार्रवाई के आह्वान को दर्शाता है।

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