भारत में सर्पदंश को ‘नोटिफायबल डिजीज’ घोषित, सरकार ने उठाया बड़ा कदम

Snakebite declared a 'notifiable disease' in India, government took a big step

भारत में सांप के काटने से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हर साल देश में 30 लाख से 40 लाख लोग सांप के दंश का शिकार होते हैं, जिनमें से लगभग 50,000 लोग अपनी जान गंवा देते हैं। यह संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है और यह दुनिया भर में सर्पदंश से होने वाली मौतों का लगभग आधा हिस्सा है। हालांकि, इन मामलों की सही रिपोर्टिंग नहीं होने के कारण स्थिति का सही आकलन करना कठिन हो जाता है।

सर्पदंश को ‘नोटिफायबल डिजीज’ घोषित किया गया
भारत सरकार ने अब सर्पदंश को “नोटिफायबल डिजीज” (सूचित करने योग्य बीमारी) घोषित किया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को सांप के काटने के मामलों और इससे होने वाली मौतों की रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने इस संदर्भ में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए हैं। यह कदम खासकर उन समुदायों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो उच्च जोखिम में हैं, जैसे किसान और आदिवासी लोग, जो अक्सर इस समस्या से प्रभावित होते हैं।

सांपों के प्रमुख प्रकार और इलाज की चुनौतियां
भारत में सर्पदंश के 90% मामले चार प्रमुख सांपों के कारण होते हैं: कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर, और सॉ-स्केल्ड वाइपर। इन सांपों के काटने के बाद इलाज के लिए “पॉलीवैलेंट एंटी-स्नेक वेनम” 80% मामलों में प्रभावी साबित होता है। हालांकि, इलाज के लिए प्रशिक्षित डॉक्टरों और सुविधाओं की कमी एक बड़ी समस्या है, जिससे इलाज में देरी हो सकती है और मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है। इसके साथ ही, सर्पदंश से जुड़े डेटा की कमी और जागरूकता का अभाव भी इस समस्या को और जटिल बना रहा है।

2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों को आधा करने का लक्ष्य
सर्पदंश की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने “राष्ट्रीय सर्पदंश रोकथाम और नियंत्रण योजना” (NAPSE) की शुरुआत की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों को आधा करना है। योजना के तहत निगरानी प्रणाली को मजबूत करने, इलाज की सुविधाओं को बेहतर बनाने और जागरूकता फैलाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से सहयोग की अपील की है ताकि सांप के काटने से होने वाली मौतों को कम किया जा सके।

सरकार का यह कदम सर्पदंश के खिलाफ लड़ाई में एक मजबूत पहल है, जो लाखों जिंदगियों को बचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

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