राज्य में बीजेपी के सत्ता में रहने के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच की मांग करने के बाद कुछ लोग डरे हुए हैं: सचिन पायलट

राजस्थान: राजस्थान कांग्रेस में बीते काफी समय से सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने गुरुवार को जन संघर्ष यात्रा की शुरुआत करते हुए एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर परोक्ष रूप से हमला बोला. गहलोत पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि राज्य में बीजेपी के सत्ता में रहने के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच की मांग करने के बाद कुछ लोग डरे हुए हैं. पायलट ने कहा कि उन्होंने कभी किसी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ‘हममें आत्म-सम्मान की कमी है.’

पार्टी छोड़ने के सवाल पर क्या बोले?
जल्द ही पार्टी छोड़ने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर सचिन पायलट ने कहा, ‘अटकलें लगाने की जरूरत नहीं है. जो कुछ हो रहा है, सब आपके सामने है. मैं जो कुछ भी कहता या करता हूं, खुलकर करता हूं. मैं लुकाछिपी नहीं खेलता. मेरी मांग वैचारिक है, व्यक्तिगत नहीं. कोई मुझ पर किसी पद के लिए महत्वाकांक्षी होने का आरोप नहीं लगा सकता. मेरी राजनीति के बारे में सभी जानते हैं. पार्टी ने बहुत कुछ दिया है. बड़े पदों पर रह चुका हूं. मेरा घोर विरोधी भी मुझ पर उंगली नहीं उठा सकता. हमारी निष्ठा और ईमानदारी पर उंगली नहीं उठा सकता.

जन संघर्ष यात्रा की जरूरत क्यों?
पायलट ने कहा कि यह यात्रा किसी व्यक्ति नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इस यात्रा का मकसद नौजवानों के लिए है. उन्होंने कहा, पेपरलीक मामले की तह तक जाना बहुत जरूरी है. जांच से पहले यह कहना कि इसमें कोई अधिकारी- नेता इनवॉल्व नहीं है, यह गलत है. अजमेर शिक्षा का सेंटर है. यहां आरपीएससी और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड जैसी संस्थाएं हैं. इसलिए मैंने यात्रा शुरू करने के लिए अजमेर का चुनाव किया है. हम प्रतिशोध की भावना से काम नहीं कर रहे.

‘पद की लालसा नहीं मुझे’
पायलट ने कहा कि ‘मैं डिप्टी सीएम था, मैं अपना समय आराम से बिता सकता था, लेकिन मुझे राजस्थान के लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है. ‘मैंने हमेशा अपनी जुबान पर काबू रखा है. लोगों ने मेरे बारे में काफी कुछ कहा है… अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करने का मतलब यह नहीं है कि हममें आत्म-सम्मान की कमी है.’ एक महीने पहले, पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कथित भ्रष्टाचार पर ‘निष्क्रियता’ पर गहलोत को निशाना बनाते हुए एक दिन का उपवास रखने की पार्टी की चेतावनी को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा, ‘जब हमने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया तो मैं निष्पक्ष जांच चाहता था, लेकिन वे डरे हुए थे. मैं स्पष्ट हो गया कि कोई जांच नहीं होने जा रही है.

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