कनाडा: भारत सरकार के केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री, पीयूष गोयल ने कनाडा के व्यवसायियों को भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की यात्रा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया, जिसका उद्देश्य पिरामिड के निचले भाग में मौजूद महिलाओं और पुरुषों के जीवन में समृद्धि लाना है। पीयूष गोयल ने कनाडा के टोरंटो में भारतीय और कनाडाई कंपनिओं के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) की गोलमेज बैठक के दौरान यह बात काही। उन्होंने कहा कि भारत न केवल वस्तुओं और सेवाओं में उच्च गुणवत्ता मानकों पर ध्यान दे रहा है बल्कि वस्तुओं और सेवाओं की उच्च गुणवत्ता वाले वितरण पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। मंत्री महोदय ने कहा कि उच्च गुणवत्ता पर यह ध्यान कनाडा के व्यवसायियों और उनके निवेश को आकर्षित करने के लिए आवश्यक है।
पीयूष गोयल ने कहा कि कनाडा में विकास बड़े बाजारों में पूंजी, नवाचार, नई प्रौद्योगिकियों तथा अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के महत्वपूर्ण समूह के उपयोग से संचालित होगा और बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं में अपनी पहुँच सुनिश्चित करने और उत्पादों को किफायती बनाने में सहायता मिलेगी। मंत्री महोदय ने कहा कि कनाडा के व्यवसाय भारतीय अर्थव्यवस्था के सुरक्षित और अनुकूल कारोबारी माहौल में समृद्ध हो सकते हैं।
पीयूष गोयल ने कनाडा सरकार की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री, निर्यात संवर्धन, लघु व्यवसाय और आर्थिक विकास मंत्री माननीय मैरी एनजी की उनके नेतृत्व और कनाडा तथा भारत की साझेदारी को अगले स्तर तक ले जाने में भागीदारी के लिए प्रशंसा की। उन्होंने भारत-कनाडा व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) वार्ता को फिर से शुरू करने की दिशा में एक बदलावकारी कदम के रूप में प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (ईपीटीए) के लिए वार्ता की गति में वृद्धि करने की सराहना की। मंत्री महोदय ने दोनों देशों की वार्ता करने वाली टीमों द्वारा किए जा रहे कार्यों और भविष्य में समझौते से बड़े परिणामों पर उनके ध्यान देने की भी सराहना की।
मंत्री महोदय ने कहा कि कनाडा और भारत के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं मौजूद हैं क्योंकि वे सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं और आने वाले वर्षों में भी बनी रहेंगी। पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत की व्यापक आर्थिक बुनियाद अपने चरम पर है। पीयूष गोयल ने कहा कि भारत तेल आधारित अर्थव्यवस्था नहीं है और यह दुनिया भर में उभरती चुनौतियों के बावजूद समृद्ध हो सकता है।पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले 9 वर्षों में भारत में महंगाई नियंत्रण में रही है। उन्होंने भारत के विशाल विदेशी मुद्रा भंडार और वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के कुल निर्यात में लगभग 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 770 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की महत्वपूर्ण वृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्ष 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के समग्र निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लक्ष्य का उल्लेख किया और कहा कि यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है लेकिन अर्थव्यवस्था की तीव्र वृद्धि को देखते हुए इसे प्राप्त किया जा सकता है।
पीयूष गोयल ने कहा कि बहरत और कनाडा, दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं और दोनों के बीच ज्यादा टकराव नहीं है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से कुछ प्रतिस्पर्धा है लेकिन दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच हितों का कोई टकराव नहीं है। मंत्री महोदय ने कहा कि कनाडा अपने विशाल भंडार और निवेश को देखते हुए प्राकृतिक संसाधनों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्पादन क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र में कनाडा की ज्यादा दिलचस्पी है। उन्होंने कहा कि हर देश की कुछ विशिष्ट ताकत होती है और भारत के लिए निवेश योग्य अधिशेष प्रबंधन तथा तकनीकी प्रतिभा और कौशल का समूह मौजूद है। पीयूष गोयल ने भारत की युवा जनसांख्यिकी तथा आज दुनिया में कहीं भी सबसे अधिक संख्या में ‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित’ (एसटीईएम) स्नातकों के तैयार होने के महत्व पर बल दिया।
पीयूष गोयल ने कहा कि यह शताब्दी भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें अगले 30 से 40 वर्षों तक दुनिया की सबसे युवा आबादी होने की आशा है, जिसके परिणामस्वरूप आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कामकाजी समूह का होगा। उन्होंने उल्लेख किया कि मैरी एनजी के साथ बैठकों में दोहरी डिग्री, पेशेवर निकायों में हमारी शैक्षिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता आदि पर चर्चा की गई। पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि एक दूसरे के देश में परिसरों की स्थापना पर भी विचार किया गया ताकि दोनों देशों के युवा आर्थिक विकास में योगदान दे सकें।
पीयूष गोयल ने उल्लेख किया कि मुद्रा के रूप में भारतीय रुपया भी सरकार के पिछले नौ वर्षों में अपेक्षाकृत स्थिर रहा है और कहा कि एक मजबूत भारतीय रुपया अर्थव्यवस्था, देशवासियों और निर्यातकों के लिए भी लाभदायक है। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी भी अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों में चूक नहीं की है और भारत का ऋण तथा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बीच अनुपात विकासशील देशों में अपेक्षाकृत सबसे कम है और निश्चित रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान तथा कई अन्य समृद्ध देशों की तुलना में बहुत कम है।
मंत्री महोदय ने कहा कि भारत निर्णायक और लोकप्रिय नेतृत्व के साथ एक स्थिर कारोबारी माहौल प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसे नेता के रूप में मान्यता मिली है जो दुनिया की चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं और भारत की जी-20 की अध्यक्षता उनके दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि “वसुधैव कुटुम्बकम” का विषय सतत विकास को प्रोत्साहित करने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पृथ्वी को एक बेहतर ग्रह के रूप में संरक्षित करने के लिए वैश्विक स्तर पर भारत की पहल तथा प्रयासों को रेखांकित करता है।