उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्षी अविश्वास प्रस्ताव पर कसा तंज, संसद की बहसों पर भी किया टिप्पणी

Vice President Jagdeep Dhankhar took a dig at the opposition's no-confidence motion, also commented on the Parliament debates

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के सभापति पद से हटाने की मांग को लेकर विपक्षी पार्टियों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा, “कोई भी संवैधानिक पोजिशन पर बैठा अधिकारी हिसाब बराबर करने की स्थिति में नहीं होता है।” जब उपराष्ट्रपति से राज्यसभा में उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में जवाब देते हुए कहा, “मेरा सबसे बड़ा चैलेंज है सुदेश धनखड़ के साथ रहना,” जिस पर उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ भी मुस्कुरा उठीं।

45 साल की जर्नी को किया याद
मंगलवार को वुमन जर्नलिस्ट वेलफेयर ट्रस्ट की महिला पत्रकारों के साथ मुलाकात के दौरान उपराष्ट्रपति ने अपनी 45 साल की संसद यात्रा को याद किया। इस दौरान उन्होंने अपनी पत्नी की भी बार-बार तारीफ की और मजाक करते हुए बताया कि पत्रकारों के सामने रखे तिल के लड्डू उनकी पत्नी ने बनाए हैं और उन्हें उन्हें खाना जरूर है।

अविश्वास प्रस्ताव पर क्या बोले उपराष्ट्रपति?
उपराष्ट्रपति ने अविश्वास प्रस्ताव के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे लाने में जल्दबाजी की गई और इससे संबंधित नोटिस पर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को याद करते हुए कहा, “चंद्रशेखर जी ने कहा था, ‘सब्ज़ी काटने के चाकू से बाईपास सर्जरी कभी मत करना…’ और यह नोटिस तो सब्ज़ी काटने का चाकू भी नहीं था, वह तो जंग लगा हुआ था!” उन्होंने कहा कि वह नोटिस पढ़कर सन्न रह गए और यह देख कर हैरान थे कि किसी ने भी इसे ठीक से पढ़ा नहीं था।

संसदीय बहसों पर उठाए सवाल
अपने विचार साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने संसद में हो रही बहसों पर चिंता जताई और कहा, “क्या आपने पिछले 10, 20, 30 वर्षों में किसी बड़ी बहस को देखा है? हम गलत कारणों से खबरों में हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारों का दबाव संसद में बहसों को सही दिशा दे सकता है, और मीडिया को ही जन प्रतिनिधियों पर दबाव बनाने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

महिला पत्रकारों के साथ संवाद
महिला पत्रकारों से बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र की सफलता के लिए अभिव्यक्ति के अधिकार और संवाद के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “आप पत्रकार ही हमारी आखिरी उम्मीद हैं। अगर अभिव्यक्ति का अधिकार और संवाद के दोनों तत्व नहीं होंगे तो लोकतंत्र को पोषित या पुष्पित नहीं किया जा सकता।”

इस दौरान उन्होंने कहा, “जो खबर को छिपाना चाहता है, वही खबर होती है।” उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि मीडिया ही वह ताकत है जो जन प्रतिनिधियों पर दबाव बना सकती है, और यही लोकतंत्र की सच्ची सेवा होगी।

इस मुलाकात के दौरान उपराष्ट्रपति ने संसद के कार्यकलापों पर भी अपनी चिंता व्यक्त की और पत्रकारों से आग्रह किया कि वे संसद में सुधार लाने के लिए सकारात्मक भूमिका निभाएं।

ये खबरें भी अवश्य पढ़े

Leave a Comment