चौथी वाणी पटना से अनिल राज की रिपोर्ट।
: बिहार की बेटी पंच रत्ना ने एशिया लेवल के कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेंगी
: मैने कभी हार नही मानी और संघर्ष करता रहा।
: मैंने बहुत ताने सुने कुश्ती को लेकर मेरे ही सामाज के लोग देते थे ताने।
पटना (चौथी वाणी) पटना यातायात पुलिस के महिला सिपाही 2954 पंचरत्ना कुमारी ने उड़ीसा राज्य के पुरी में आयोजित 1st कॉम्बैट नेशनल चैंपियनशिप पुरुष एवं महिला कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेकर गोल्ड मेडल प्राप्त की है। इस प्रकार एशिया लेवल के कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चयनित हो गई है। कॉम्बैट फेडरेशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में देश की पहली पुरुष एवं महिला कॉम्बैट नेशनल चैंपियनशिप का आयोजन कांम्बैट फेडरेशन ऑफ इंडिया एवं कांम्बैट एसोसिएशन ऑफ उड़ीसा के संयुक्त तत्वावधान में पुरी, उड़ीसा में अप्रैल 2024 आयोजित किया गया। प्रतियोगिता का आयोजन पुरुष एवं महिला वर्ग के U13, U15, कैडेट, जुनियर, सीनियर एवं वेटरन COMBAT GI और COMBAT NOGI स्टाईल में आयोजित किया गया। जिसमें देश के लगभग 23 से 25 प्रदेशों के खेल प्रतिनिधियों के साथ साथ बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष खिलाड़ी ने भाग लिया। उनकी इस उपलब्धि पर पटना की मेयर सीता साहू, ट्रैफिक डीएसपी अनिल कुमार ने उन्हें सम्मानित किया। तैनात महिला सिपाही पंचरत्न कुमारी मूल रूप से बक्सर जिले के मनोहरपुर,राजपुर प्रखंड की रहने वाली हैं। वर्ष 2018 बैच की पंचरत्न कुमारी अब तक 5 बार नेशनल स्तर पर प्रतियोगिताएं खेलकर मेडल जीत चुकी हैं। पुलिस में ज्वाइन करने के बाद पहली बार उन्होंने गोल्ड मेडल जीता है। पंचरत्न ने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी साक्षी मलिक को अपना आदर्श मानती हैं। पंच रत्ना अपनी सफलता का श्रेय पिता राधेश्याम प्रसाद माता सरस्वती देवी का देती है। रत्ना मुलरूप से ग्राम : तियरा थाना : राजपुर जिला; बक्सर के निवासी हैं। पंचरत्ना उर्फ गुड़िया अपने माता पिता और अपने
आत्म विश्वास के बल पर यहा तक पहुंची और आगे भी प्रयास जारी हैं। पंच रत्ना की माने तो आर्थिक और सामाजिक दोनों की स्थिति दैनिये थी ये बाते कहते हुई पंचरत्ना
फफक फफक कर रोने लगी और लरखराते हुए जमान से बोली जब घर में खाना नही होता तो पापा का लाया हुआ भुजा खाकर सभी भाई बहन को सोना पड़ता था । मेरे पिता जी एक रिक्शा चालक है। उनकी रिक्सा की आमदनी से ही हमारा परिवार चलता था अपने पास धन और संपत्ति के नाम पर केबल रहने के लिए एक फूस का मकान था वह भी एक बार जल गया था फिर तो अपने पास पहनने का कपड़ा भी नही रहा तब दूसरे लोगों का दिया हुआ कपड़ा पहना करती थी। पंच रत्ना कहती है कई बार तो वारिश (वर्षा) के दौरान मेरे घर में खाना नही बनता था क्योंकि खाना पत्ता जलाकर बनता था और बरसात में वह भी पानी से भीग जाता था जिसके कारण घर में खाना नहीं बनता था। उस स्थिति में भी समाज के लोग मदद नहीं देकर ताने मारा करते थे जब मैं कुश्ती खेलने जाति तो सामाजिक स्थिति और खराब हो गया सभी लोग मेरे माता पिता को कहते बेटी का कुश्ती में भेज कर समाज का इज्जत ले ली और जब मेरी नौकरी बिहार पुलिस में हुआ तो भी लोग बोलने लगे सभी का बाते सुन मेरे माता पिता ने मेरा पुरा पुरा सहयोग किया जिनके बल पर आज मैं जो हूं सो हूं। मेरे सामाज के लोगो ने ही सबसे अधिक ताने दिया करते थे कभी सहयोग नही किया और मैने ताने को ही अपना हाथियार बनाया और आगे संघर्ष का ही रास्ता चुना।