श्रीनगर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के करनाह सेक्टर में नियंत्रण रेखा (Loc) के पास माता शारदा देवी मंदिर का वीडियो कांफ्रेंस (VC) के माध्यम से उद्घाटन किया और कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना केंद्र शासित प्रदेश को अपनी पुरानी परंपराओं, संस्कृति और गंगा-जमुनी तहजीब की ओर वापस ले जा रहा है. करतारपुर गलियारे की तर्ज पर नियंत्रण रेखा के पार शारदा पीठ खोलने की पंडित की मांग का जिक्र करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र निश्चित रूप से इस पर प्रयास करेगा और इसमें कोई संदेह नहीं है.
गृह मंत्री शाह ने कहा कि मंदिर का खुलना नई सुबह की शुरुआत है और शारदा संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास है. उन्होंने कहा, ‘‘माता शारदा मंदिर को हमारे नए साल के शुभ अवसर पर भक्तों के लिए खोला जा रहा है. यह देश भर के भक्तों के लिए एक शुभ संकेत है. माता शारदा का आशीर्वाद अब आने वाली सदियों तक पूरे देश पर रहेगा.
केंद्रीय मंत्री ने अफसोस जताया कि वह उस स्थान पर सशरीर मौजूद नहीं रह सके. हालांकि उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर के अपने अगले दौरे पर मंदिर जाने का वादा जरूर किया. उन्होंने कहा, जब भी मैं जम्मू एवं कश्मीर जाऊंगा, मैं माता शारदा देवी मंदिर में माथा टेककर अपनी यात्रा शुरू करूंगा.
शाह ने कहा कि यह एक नई सुबह की शुरुआत है जो माता शारदा देवी के आशीर्वाद और नियंत्रण रेखा के दोनों ओर नागरिक समाज सहित लोगों के संयुक्त प्रयासों से संभव हुई है. उन्होंने कहा, मैं शारदा बचाओ समिति के अध्यक्ष रविंद्र पंडित को इतने वर्षों के संघर्ष के लिए अपनी शुभकामनाएं और आभार व्यक्त करता हूं, जिसका फल अब मिला है… यह कदम सिर्फ एक मंदिर का जीर्णोद्धार नहीं है, बल्कि शारदा संस्कृति को पुनर्जीवित करने के प्रयास की शुरुआत है. उन्होंने कहा कि शारदा पीठ को एक समय भारतीय उपमहाद्वीप में शिक्षा का केंद्र माना जाता था.
करतारपुर गलियारे की तर्ज पर नियंत्रण रेखा के पार शारदा पीठ खोलने की पंडित की मांग का जिक्र करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र निश्चित रूप से इस पर प्रयास करेगा और इसमें कोई संदेह नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में शांति स्थापित हुई है और इसने घाटी के साथ-साथ जम्मू को भी उसकी पुरानी परंपराओं, संस्कृति और गंगा-जमुना तहजीब की ओर लौटाया है.
शाह ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर ने सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में सभी क्षेत्रों में पहल की है, जिसके तहत धार्मिक महत्व के 123 चयनित स्थानों पर नवीनीकरण का काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि जियारत शरीफ रेशिमाला, राम मंदिर, सफाकदल मंदिर, हलोटी गोम्पा मंदिर, जगन्नाथ मंदिर समेत कई मंदिरों और सूफी स्थलों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है.
शाह ने कहा कि 65 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है और पहले चरण में 35 स्थानों का नवीनीकरण और पुनरुद्धार किया जाएगा. शाह ने कहा कि 75 धार्मिक स्थलों और सूफी दरगाहों की पहचान की गई और 31 बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए और हर जिले में 20 सांस्कृतिक ‘उत्सव’ भी आयोजित किए गए. उन्होंने कहा कि इससे हमारी पुरानी विरासत का पुनर्जन्म हुआ है.
जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को केंद्र शासित प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी की सभी योजनाओं को जमीन पर लागू करने के लिए बधाई देते हुए शाह ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने जुनून के साथ काम किया है, वह सराहनीय है. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सिन्हा ने जम्मू एवं कश्मीर में औद्योगिक निवेश लाने में बड़ी भूमिका निभाई है. मैं इसके लिए जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन और उसके प्रमुख मनोज सिन्हा को बधाई देता हूं और उनकी प्रशंसा करता हूं.
केंद्रीय मंत्री ने उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में मंदिर खोले जाने के लिए पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और जम्मू एवं कश्मीर के सभी लोगों के साथ पंडित के नेतृत्व वाले नागरिक समाज का भी आभार व्यक्त किया. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में शारदा पीठ मंदिर की सदियों पुरानी तीर्थयात्रा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से प्राचीन मंदिर और इसके केंद्र का पुनर्निर्माण किया जा रहा है. शारदा पीठ देवी सरस्वती का कश्मीरी नाम है. यह भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महत्वपूर्ण प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक था.