रायपुर: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा पर एक बड़ी मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने एक महिला नक्सली को ढेर कर दिया। महिला नक्सली का शव मुठभेड़ स्थल से बरामद कर लिया गया है। इसके साथ ही सुरक्षा बलों को नक्सलियों के पास से इंसास राइफल, गोला-बारूद और अन्य रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुएं भी मिली हैं।
सुरक्षा बलों की एक टीम दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान पर थी। अधिकारियों के अनुसार, सुबह 9 बजे से माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई थी। यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ का सबसे संवेदनशील नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है, जहां अक्सर मुठभेड़ों की घटनाएं होती रहती हैं।
यह मुठभेड़ 29 मार्च को सुकमा-दंतेवाड़ा बॉर्डर पर हुए बड़े ऑपरेशन के बाद सामने आई, जिसमें 16 नक्सली मारे गए थे। वहीं, 20 मार्च को सुरक्षा बलों ने दो अलग-अलग मुठभेड़ों में 30 माओवादियों को मार गिराया था, जिसमें दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा के पास 26 और कांकेर में 4 नक्सली मारे गए थे। 25 मार्च को भी इसी सीमा पर एक और मुठभेड़ में तीन नक्सलियों को ढेर कर दिया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छत्तीसगढ़ दौरे से पहले रविवार को 50 माओवादियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इससे पहले, दंतेवाड़ा जिले में 15 नक्सलियों ने भी आत्मसमर्पण किया था। ये सभी माओवादी ‘लोन वर्राटू’ (घर वापस आओ) अभियान के तहत आत्मसमर्पण कर रहे थे, जिसे जिला पुलिस बल और सीआरपीएफ ने गांवों में बड़े पैमाने पर प्रचारित किया था। इस अभियान ने कई नक्सलियों को हथियार छोड़ने और शांतिपूर्ण जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
अब तक, ‘लोन वर्राटू’ अभियान के तहत 977 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी रविवार को नक्सलियों के आत्मसमर्पण के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति स्पष्ट है कि जो भी नक्सली हथियार छोड़कर विकास की राह अपनाएंगे, उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा।
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि 31 मार्च 2026 के बाद देश में नक्सलवाद केवल इतिहास बनकर रह जाएगा, यह हमारा संकल्प है।