सीजीएचएस (केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना) के तहत लिस्टेड निजी अस्पतालों को 2019-20 में 24 प्रतिशत से बढ़ाकर 2023-24 में लगभग 60 प्रतिशत तक रीइंबर्समेंट मिल रहा है। इस वृद्धि से यह साफ़ हो गया है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है।
पिछले साल दिसंबर में सीजीएचएस ने लिस्टेड अस्पतालों को एक सलाह जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि निदेशालय के ध्यान में यह बात आई है कि कुछ स्वास्थ्य सेवा संगठन ‘बिल जमा करते समय धोखाधड़ी की गतिविधियों में लिप्त हैं’। इसके साथ ही अस्पतालों पर अधिक शुल्क लेने, उपचार करने से मना करने और अन्य शिकायतों की भी रिपोर्ट की गई थी।
सीजीएचएस पर 2019-20 और 2023-24 के बीच कुल खर्च में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह योजना केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके आश्रितों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है और इसे वेलनेस सेंटर और लिस्टेड अस्पतालों के बड़े नेटवर्क के माध्यम से क्रियान्वित किया जाता है।
सीजीएचएस के तहत परामर्श, उपचार, निदान और दवाओं की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, जिससे सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित होती हैं।
इस बीच, ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अब 76 करोड़ से अधिक भारतीयों के पास आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (एबीएचए) आईडी है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) का एक प्रमुख घटक एबीएचए है, जिसका उपयोग व्यक्तियों के सभी स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ने के लिए किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य लाभार्थियों के लिए जेब से होने वाले खर्च को कम करना और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार करना है।
लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, मार्च में अब तक 55,10,259 ‘आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट’ खाते खोले गए, जिनमें से 1,67,257 बुधवार को खोले गए। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1,319.1 लाख स्वास्थ्य खाते हैं, इसके बाद 623.8 लाख स्वास्थ्य खातों के साथ राजस्थान और 585.9 लाख स्वास्थ्य खातों के साथ महाराष्ट्र का नाम आता है।
एबी-पीएमजेएवाई दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसने हाल ही में 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करके अपनी उपलब्धियों में एक और मील का पत्थर जोड़ा है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब अनुमान है कि 2050 तक भारत की बुजुर्ग आबादी दोगुनी हो जाएगी, जिससे वृद्धावस्था देखभाल की मांग में भी वृद्धि होगी। 2050 तक भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति बुजुर्ग होने की उम्मीद है।