चंडीगढ़: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी भारत माला परियोजना के तहत बठिंडा के कोट शमीर गांव में जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। किसानों का आरोप है कि सरकार द्वारा उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गई, जिसमें कई किसानों को हिरासत में लिया गया। किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा उनकी जमीन का जो मुआवजा तय किया गया है, वह बिल्कुल नाकाफी है। किसान प्रति एकड़ जमीन के लिए 70 लाख रुपये मुआवजे की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार उन्हें केवल 47 लाख रुपये देने को तैयार है।
बठिंडा के साथ-साथ मानसा जिले में भी इसी तरह के हालात देखने को मिले। यहां भी किसान भारत माला परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण के विरोध में सड़कों पर उतर आए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।
भारत माला परियोजना एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना है, जिसका उद्देश्य देश के सीमावर्ती और अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करना है। इस परियोजना के तहत बंदरगाहों और सड़कों को जोड़ा जा रहा है, साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों का भी आधुनिकीकरण किया जा रहा है। दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे एक 669 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना है, जिसे नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा बनाया जा रहा है। यह एक्सप्रेसवे जम्मू-कटरा तक जाएगा। हालांकि, पंजाब में इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों का विरोध लगातार जारी है।
बठिंडा के डिप्टी कमिश्नर का कहना है कि किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा है और मुआवजे का निर्धारण सभी नियमों के अनुसार किया गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और किसानों के बीच इस मुद्दे पर क्या समझौता होता है। किसानों का कहना है कि वे तब तक अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मान लेती।