सुगौली,पू.च:–चालू रमजान के पाक महीने में मुस्लिम भाईयों ने शुक्रवार को प्रखंड के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के मस्जिदों में अलविदा की नमाज पढ़ी। जिसमे बड़ी तादाद में मुस्लिम भाई शामिल हुए। इस्लाम में जुमे का नमाज पढ़ना खास महत्व है। रमजान के पाक महीने में इसकी अहमियत और बढ़ जाती है।
28 मार्च को दुनियाभर में आखिरी जुमे जुमातुल विदा की नमाज पढ़ी गई। सुगौली बाजार मस्जिद,स्टेशन चौक स्थित लाल मदरसा मस्जिद में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने अलविदा की नमाज अदा की। अलविदा की नमाज के बाद तीसरे दिन ईद की नमाज पड़ सकती है। इसके चलते रोजेदार और मुस्लिम समाज के लोग ईद की तैयारियों में भी जुटे हैं।इस्लाम में जुमे जुमातुल अलविदा को छोटी ईद भी कहा जाता है।
ईद की सही तारीख अरब में चांद निकलने पर निर्भर करती है। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज में देश में अमन चैन और आपसी भाईचारे की दुआ मांगी गई और एक दूसरे को बधाई दी गई। अलविदा जुमे की नमाज को लेकर मस्जिदों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। मस्जिद में खास इंतजाम किये जाते हैं। सभी लोग नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करने के लिए जाते हैं।
बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी लोग इस दिन मस्जिदों में इबादत करते है। ऐसा मानना है कि रमजान के तीसरे और आखिरी अशरे में की गई इबादत रोजेदारों को जहन्नुम यानी नरक की आग से बचाती है। इस अशरे में जो आखिरी जुमा आता है उसे अलविदा जुमा कहते हैं। इस्लाम में इस दिन खास कर रमजान में नमाज पढ़ना जरूरी माना जाता है।